November 23, 2024     Select Language
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यहां की बेटियां अपने पिता से शादी कर बनती है अपनी मां की सौतन

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कोलकाता टाइम्स 

आज हम आपको एक ऐसी जनजाति के बारे में बताएंगे कि जहां एक बेटी को अपने पिता से ही शादी करनी पड़ती है। सुनकर आश्‍चर्य में पड़ गए होंगे ना! बांग्लादेश के दक्षिण पूर्व माधोपुर जंगलों में रहने वाली मंडी प्रजाति में इस तरह की शादियां करवाई जाती है। इन 4 महिला किरदारों से जाने पौरोणिक काल में रेप कल्‍चर के बारे में इस जनजाति में यहां मां और बेटी को एक ही पुरुष से शादी करनी पड़ती है। ताकि उनका समुदाय बचा रहें है और महिलाओं की रक्षा हो सके। हालांकि बदलते वक्त के साथ इस समुदाय के लोगों ने अब इस पराम्‍परा को मानने से मना कर दिया है।

पिता से बेटी की शादी जैसी इस विचित्र परम्परा को अपनाने के पीछे इस समुदाय का तर्क है कि इस परंपरा को तब अपनाया जाता है जब किसी महिला का पति कम उम्र में ही चल बसता है। ऐसी स्थिति में महिला को अपनी पति के खानदान में से ही एक कम-उम्र के आदमी से शादी करनी होती है। ऐसे में कम-उम्र के नए पति की शादी उसकी होने वाली पत्नी की बेटी के साथ भी एक ही मंडप में करवा दी जाती है। माना जाता है कि कम-उम्र का पति नई पत्नी और उसकी बेटी का भी पति बनकर दोनों की सुरक्षा एक लंबे वक्त तक कर सकता है।

रिवाज के पीछे का मकसद सम्‍पति के बंटवारे को रोकने के साथ ही महिलाओं की सुरक्षा करना है इसलिए बेटी की पिता से शादी इसी व्यवस्था का हिस्सा है। एक घर में मां और बेटी का सौतन बनकर रहना बहुत मुश्किल काम होता है इस वजह से उनके रिश्‍ते में दरार भी आ जाती है।

अधिकतर आदिवासी जातियों की तरह इस जाति में भी परिवार की मुखिया महिला ही होती हैं। परिवार का लालन पोषण कि जिम्मेदारी महिलाओं की ही होती है। हालांकि इस कम्युनिटी में बहुत छोटी उम्र में ही शादी हो जाती है। यहां कि 90 फीसदी कम्युनिटी ने अब ईसाई धर्म अपनाया हुआ है।

हालाँकि विकास और परिर्वतन प्रकृति का नियम है और यहीं नियम इंसानी प्रजातियों पर भी लागू होता है। इसी परिवर्तन के जरिए यहां कि लड़कियां अब इस परम्परा का विरोध कर रही हैं। क्योंकि उनके लिए यह एक रुढि़वादी और महिलाओं को झकझोर देने वाली प्रथा है। इसलिए कम्युनिटी में यह परम्परा धीरे-धीरे खत्म हो रही है और नई पीढि़यों की लड़कियां इस रिवाज को नहीं मानती है।

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