अनजाने में ही सही पर मिला तो मुक्ति के उपाय
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कोलकाता टाइम्स :
कभी कभी अंजाने में ही कुछ ऐसा मिल जाता है जिसे आप दिल से डूंढ रहे होते हैं। ऐसा ही कुछ वैज्ञानिकों के एक दल के साथ हुआ जब उन्हें जापान में एक प्लास्टिक के कचरे के ढेर की जांच के दौरान एक ऐसा बग मिला जो प्लास्टिक हजम कर सकता है। अब वैज्ञानिकों का प्रयास है कि इससे एक एंजाइम को विकसित किया जाये जो हमेशा के लिए प्लास्टिक के प्रदूषण से मुक्ति का रास्ता बन सके। इसका इस्तेमाल दुनिया की सबसे खराब प्रदूषण समस्याओं से निपटने में किया जा सकता है। असल में ब्रिटेन की पोर्ट्समाउथ यूनीवर्सिटी और अमेरिकी ऊर्जा विभाग के राष्ट्रीय अक्षय ऊर्जा प्रयोगशाला की रिसर्च टीम ने कुछ साल पहले जापान के एक वेस्ट रिसाइकिलिंग सेंटर में पाए गए प्राकृतिक एंजाइम की संरचना की जांच करने के दौरा इस नए एंजाइम को खोज निकाला। ये प्लास्टिक कचरे को हजम कर सकता है। दरअसल यह एंजाइम प्लास्टिक वेस्ट को डीग्रेड कर देता है, जिससे यह पर्यावरण के लिए नुकसानदायक नहीं रह जाता।
वैज्ञानिकों के मुताबिक आइडोनेला सैकैनाइसिस 201-एफ 6 नाम का यह एंजाइम पॉलीथीन टेरिफ्थेलैट को पचाकर उसे बायोडिग्रेडेबल बना देता है। पॉलीथीन टेरिफ्थेलैट यानि पीईटी वही चीज है, जिसे 1940 में प्लास्टिक के नाम से पेटेंट कराया गया था। प्लास्टिक के बारे में माना जाता है कि यह कई सौ सालों तक बिना गले या खत्म हुए धरती पर रह सकती है और पर्यावरण और जीवों को भयानक नुकसान पहुंचाती है। तभी तो सभी तरह के प्रदूषण में प्लास्टिक कचरे को इंसानों और जानवरों के जीवन के लिए सबसे बड़ी समस्या माना जाता रहा है।
अब तक तमाम शोध के बाद भी पूरी दुनिया के वैज्ञानिक प्लास्टिक कचरे को खत्म करने या डीग्रेड करने को कोई बेहतर तरीका नहीं खोज सके हैं।
प्लास्टिक और फाइबर जो इस धरती पर सैकड़ों सालों तक बिना गले हुए रह सकती है और अगर उसे जलाने की कोशिश की जाए जो भयानक स्तर का कार्बन और कई खतरनाक गैसें वातावरण में फैल जाती हैं। अब इस नए खोजे गए आइडोनेला सैकैनाइसिस 201-एफ 6 को लेकर वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि इससे पूरी दुनिया को प्लास्टिक कचरे से निजात मिल सकती है। हालाकि यह एंजाइम प्लास्टिक को खाकर पूरी तरह खत्म नहीं करता, बल्कि उसे पचाकर ऐसा बना देता है कि वो कचरा पर्यावरण को खास नुकसान नहीं पहुंचाता, लेकिन यहां वहां जमीन से लेकर समुद्र तल पर इक्ट्ठा होता रहेगा।