November 23, 2024     Select Language
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शर्मनाक! भारत का नक्शा तक नहीं पहचानते इस राज्य के 19% किशोर

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भोपाल: एक सर्व और कच्चा चिट्टा सामने आ गया। हम बात कर रहे हैं मध्यप्रदेश की शिक्षा व्यवस्था को लेकर हुए एक सर्वे की। भोपाल के 60 गांवों के 952 घरों में हुए ASER के इस सर्वे के नतीजे बताते हैं कि 37 फीसदी किशोर अपने राज्य का नाम भी नहीं बता पाते हैं। यही नहीं 14 से 18 साल के उम्र के किशोरों के बीच हुए इस सर्वे से पता चला है कि 38.7 फीसदी किशोर स्कूल ही नहीं जाते जबकि 25.5 प्रतिशत किशोरियों ने आज तक मोबाइल ही नहीं चलाया है। सर्वे में शामिल हुए 19 फीसदी किशोर भारत का नक्शा पहचानने में भी असफल रहे। आपको बता दें कि यह सर्वे भोपाल के ग्रामीण इलाकों के किशोर-किशोरियों के बीच किया गया था।

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सर्वे ने बताया मध्यप्रदेश और पंजाब की शिक्षा कितनी है फटे हाल
38.7 फीसदी किशोर स्कूल ही नहीं जाते

 

सर्वे से पता चला है कि,
– 38.7 फीसदी किशोरियां नहीं जा रही हैं स्कूल
– 22.4 फीसदी किशोरों का भी स्कूल में दाखिला नहीं
– मोबाइल का उपयोग करने में किशोरियों से आगे किशोर
– 25.5 फीसदी किशोरियों ने कभी नहीं चलाया मोबाइल
– 8.3 फीसदी किशोरों ने कभी नहीं चलाया मोबाइल
– 75.8 फीसदी लड़कियां नहीं करतीं इंटरनेट उपयोग
– 44.5 फीसदी लड़के नहीं करते हैं इंटरनेट उपयोग
– 76.1 फीसदी लड़कियों ने कभी नहीं चलाया कम्प्यूटर
– 61.2 फीसदी लड़कों ने कभी नहीं चलाया कम्प्यूटर
– 77.4 फीसदी लड़कियों के खुद के नाम बैंक एकाउंट
– 76.2 फीसदी लड़कों के खुद के नाम बैंक एकाउंट
– 47 फीसदी किशोर-किशोरियां दूसरी के सवाल नहीं कर पाते हल
– केवल 11.8 फीसदी किशोर-किशोरियां ही हर कर पाते हैं पहली कक्षा के सवाल
– 19 फीसदी नहीं पहचान पाते हैं भारत का नक्शा
(13 फीसदी किशोर, 22 फीसदी किशोरियां)
– 35 फीसदी बच्चे नहीं बता पाये भारत की राजधानी का नाम (28 फीसदी किशोर, 40 फीसदी किशोरियां)
– 37 फीसदी नहीं बता पाये अपने राज्य का नाम
(30 फीसदी किशोर, 42 फीसदी किशोरियां)
– 60 फीसदी नहीं पहचान सके मध्य प्रदेश का नक्शा
(49 फीसदी किशोर, 68 फीसदी किशोरियां)
इस सर्वे  के सामने आते ही छींटाकशी शुरू हो गई है, राज्य की प्रमुख विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने इस मुद्दे को राज्य की कानून व्यवस्था से जोड़ते हुए शिवराज सरकार पर निशाना साधा है. मध्यप्रदेश कांग्रेस के नेता माणक अग्रवाल ने आरोप लगाते हुए कहा, “बदमाशों के डर से बच्चियां स्कूल नहीं जा रही हैं.”वहीं दूसरी ओर भोपाल से बीजेपी सांसद आलोक संजर ने इस बारे में जी न्यूज से बात करते हुए कहा, “बच्चे और पालकों में पढ़ने की इच्छा का अभाव हो सकता है कारण।” उन्होंने इसके बाद कहा, “इस मामले में व्यापक जागरूकता अभियान की जरूरत है।”
आपको जानकर हैरानी होगी की पंजाब भी मध्यप्रदेश के पीछे ही चल रहा है। राज्य के सरकारी प्राइमरी स्कूल के छात्रों को न तो अंग्रेजी और न ही पंजाबी भाषा आती है। एक रिर्पोट के अनुसार पहली से लेकर पांचवीं तक के 85 प्रतिशत बच्चों को अंग्रेजी भाषा ही लिखनी नहीं आती यही नहीं बल्कि इन सरकारी स्कूली बच्चों को पंजाबी के अक्षरों को भी ज्ञान नहीं है।

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