अफ़्रीकी सरकार जिन्हें ढूंढ रही थी, भारत उन्हें संभाल रहा था जेड सुरक्षा में
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न्यूज डेस्क
एक ओर दक्षिण अफ्रीका में पुलिस हॉक विंग ने जब छापा मारा तो दोनों भाई भारत में जेड श्रेणी सुरक्षा के घेरे में देहरादून करजन रोड स्थित अपनी आलीशान कोठी में सुरक्षित रह रहे थे। अब जो की फरार बताये जाते हैं। इन दोनों भाइयों के नाम है अजय गुप्ता और अतुल गुप्ता। हालाँकि अब भारत सरकार ने इनकी जेड सुरक्षा वापस ले ली है।
दक्षिण अफ्रीका में राजनीतिक संकट और राष्ट्रपति जैकब जुमा के इस्तीफे का मुख्य कारण माने जा रहे भारतीय मूल के गुप्ता बंधुओं का तलाश तेज है। अब भारत में भी उनके खिलाफ सख्ती बरतनी शुरू हो गई है। केंद्र सरकार ने दोनों भाइयों को मिलने वाली जेड श्रेणी सुरक्षा को पेड कर दिया है और इस बारे में राज्य सरकार को सूचित कर दिया है।
लेकिन शुक्रवार की शाम आते-आते गुप्ता बंधुओं को अचानक काले शीशों वाली गाड़ी में बैठकर गुप्त स्थान पर जाते देखा गया।
किसी राजनीतिक या विशिष्ट व्यक्ति को वीआईपी सुरक्षा देने का फैसला खतरे के आंकलन के बाद होता है। भारत में सुरक्षा व्यवस्था को चार श्रेणियों में विभाजित किया गया है: जेड प्लस (Z+) (उच्चतम स्तर), जेड (Z), वाई (Y) और एक्स (X)। खतरे के आधार पर वीआईपी सुरक्षा पाने वालों में प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्री, सांसद, विधायक, पार्षद, नौकरशाह, पूर्व नौकरशाह, जज, पूर्व जज, बिजनेसमैन, क्रिकेटर, फिल्मी कलाकार, साधु-संत या आम नागरिक कोई भी हो सकता है। लेकिन इन भाइयों को सरकार क्यों सुरक्षा देकर पाल रही थी, यह कुछ धुंदला है।
मूलतः उत्तर प्रदेश के सहारनपुर निवासी अजय गुप्ता साउथ अफ्रीका के जोहानिसबर्ग मे एक जानमाने व्यापारी हैं। गुप्ता बंधुओं का संबंध दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति जैकब जुमा से है। उनकी कम्पनी में राष्ट्रपति की बेटी और पत्नी भी अच्छी पोजीशन पर कार्यरत हैं। इस वक्त उनकी संपत्ति 4900 करोड़ है। इतना ही नहीं, उन्हें दक्षिण अफ्रीका का 8वां सबसे अमीर व्यक्ति भी बताया जाता है।
इस परिवार ने कंप्यूटर, खनन, मीडिया, टेक्नॉलजी और इंजीनियरिंग के क्षेत्र में निवेश किया और बहुत ही तेजी से अपने कारोबार में बढ़ोत्तरी की। इसके बाद साल 2010 में इस परिवार ने ‘द न्यूज एज’ नाम से एक अखबार शुरू किया। इस अखबार को भी जैकब जुमा का समर्थक अखबार माना जाता है। इसके बाद ही साल 2013 में एक न्यूज चैनल को भी शुरू किया। जुमा के राष्ट्रपति बनने से पहले ही इस परिवार के सत्ताधारी अफ्रीकन नेशनल कांग्रेस से करीबी रिश्ते बन गए थे।
इस परिवार पर आरोप है कि भ्रष्ट सौदों के जरिए इस परिवार ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल करके कई ठेके अपने नाम कराए। दक्षिण अफ्रीका के चार बड़े बैंक एबीएसए, एफएनबी, स्टैंडर्ड और नेडबैंक की ओर से परिवार को मार्च 2016 में ही ये बता दिया गया था कि अब वो उनकी ओकबे कंपनी और उनकी सहायक कंपनियों को बैंकिंग सुविधा नहीं देंगे।