”समय और जीवन”
पारस के जज्वात
चलना गति है और चलते रहना गतिमान।
समय गति भी है और गतिमान !
समय काल भी है और कालचक्र !!
समय ना दिन और ना ही रात है। ना सुख है ना ही रात है। ना ही पाप है ना ही पुण्य है। ना बंधन है ना ही मुक्त !
समय कल भी था और आज भी है और कल भी रहेगा।
समय अनंत है और ना खत्म होने वाला, ना ही शुरुवात था।
जहाँ जीवन का प्रश्न उठता है, जीवन तो एक धारा है और बहते जाना जीवन। एक धारावाहिक की तरह है।
जीवन का नाम बहना और बहते जाना है। जीवन तो प्राण-ऊर्जा है जिसका अंत है, एक धारा है जिसका किनारा है, बस बहते जाना है। बहने का मतलब डूबता जाना, जितनी गहराई में डूबेंगे, उतना ही जीवन का सत्य जान पायेंगे और जिस पल पूर्ण सत्य को जान पाएंगे, जीवन सिर्फ शेष रह जायेगा।
जिस तरह बिज़ में पौधा, पौधा में फूल और फूल से फल, बिज के लिए फल देना पूर्ण सत्य है और सत्य के बाद कुछ नहीं।
इसी तरह जीवन का काम है कर्मबंधन और बंधन से मुक्त ओना जीवन का पूर्ण सत्य है।
जहां जीवन है और जीवन एक धारा है, धारा के साथ गति है और गति निरंतर है, जहाँ निरंतर होना है वहां अवरोधक भी जरूरी है। बिना अवरोधक जीवन निरंतर गति में नहीं रह सकता।
बिना अवरोधक जीवन ना ही सुखदाई हो सकता है ना आनंद की अनुभूति कर सकते है, ना ही पूर्ण सत्य को पा सकते हैं।
समय और जीवन जैसे गति और धारा निरंतर साथ चलने से हर अवरोध पर निरंतर पा सकते है।
”समय गति है, निरंतर रहना गतिमय
समय ही जीवन धारा का है परिणाम”