July 7, 2024     Select Language
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फूलों से लदा पत्थरों का शहर

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न्यूज डेस्क

पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश की सीमाओं से सटा उत्तर भारत के प्रमुख शहर चंडीगढ़ अपने आप में अनोखा मन जाताहै।स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की कल्पना के इस शहर को संवारा था फ्रेंच आर्किटेक्ट ली कारबूजयर को।इसको मूर्त रूप देते समय इस बात का पूरा ध्यान रखा था कि यहां लोग प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद आधुनिकता के बीच भी ले सके।

कारबूजयर की सबसे पहली कोशिश यह थी कि कोट शिवालिक की पहाडि़यों के दामन में बहते बरसाती बड़े नदीनुमा चौ पलाली का रो (नाला) और सुखना चौ पर इस प्रकार बांध बनाया जाए कि इसका बरसाती पानी शहर में न फैले।उस बांध पर चालीस फुट का एक पैदल रास्ता बनाया गया। इसके चारों ओर पेड़-पौधों की भरमार है।

इसी सुखना झील पर हर वर्ष आम फेस्टिवल का आयोजन किया जाता है।चंडीगढ़ आने वाले पर्यटकों का यह सर्वाधिक प्रिय स्थल है।सायबेरियन पक्षियों की सर्दियों की शरणस्थली सुखना झील में मोटरबोटिंग की सख्त मनाही है, लेकिन नौका विहार, स्कीइंग और पानी के अन्य खेल यहां खेले जा सकते हैं।

इस शहर की खासियत है स्वच्छता।समुद्रतट से 365 मीटर की ऊंचाई पर स्थित 114 वर्ग किमी क्षेत्रफल में फैले सन 1953 में निर्मित इस शहर में काफी कम थी।लोग तो इसे पत्थरों का शहर भी कहते हैं। उनका मानना है कि यह बसाया हुआ शहर है और इसकी कोई आत्मा नहीं है।इसके लोगों की आर्थिक स्थिति का अंदाज उनके रिहायशी इलाके से आंका जाता है।हर सेक्टर एबीसीडी चार भागों में विभक्त है। ए-बी अभिजात्य, सी मध्यम और डी निम्न मध्यमवर्गीय लोगों के लिए।मुगल शैली की भवन निर्माण कला का अध्ययन करने आए विदेशी पत्रकार कार्ल लुडगिस्ट चंडीगढ़ को एक नजर देखने के बादअभिभूत रह गए थे।

चंडीगढ़ के चीफ कमिश्नर रह चुके स्व. एम.एस. रंधावा की फूलों और पेड़-पौधों में विशेष रुचि थी।उन्होंने सारे शहर में सड़कों के किनारे वीथियों पर अमलतास, गुलमोहर, सावनी, पोयनसंटिया, कचनार के पेड़ लगवाए।

रोज गार्डन : शहर के बीचोबीच सेक्टर-16 में तीस एकड़ भूमि पर फैला है जाकिर हुसैन रोज गार्डन। गुलाब के फूलों की 1600 से भी अधिक जातियों को यहां ले आने का श्रेय भी श्री रंधावा को ही दिया जाता है।रोज गार्डन में हर वर्ष रोज फेस्टिवल नाम से एक भव्य मेले का आयोजन किया जाता है, जिसमें सांस्कृतिक संध्या के अतिरिक्त दिन भर रोज मेले में बच्चों के लिए मिस रोज, मिस्टर रोज और विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है।प्रतिवर्ष लगने वाले इस रोज फेस्टिवल में आने वाले 40 हजार से अधिक लोगों के उत्साह को देखकर फूलों और बागों के प्रति चंडीगढ़वासियों के प्रेम को समझा जा सकता है।

लेजर वैली : सेक्टर-10 में 20 एकड़ भूमि में फैली है यह घाटी।यहां बुगनवेला की 3000 से भी अधिक किस्में देखी जा सकती हैं। यहां हर वर्ष बुगनविला शो का आयोजन भी किया जाता है।सेक्टर 10 में ही स्थित गवर्नमेंट म्यूजियम और आर्ट गैलरी भी यहां आने वाले पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है।इस म्यूजियम में गांधार शैली की बौद्धकालीन प्रतिमाओं के अलावा राजपुर, कांगड़ा, पहाड़ी और मुगल शैली की कलाकृतियां भी देखी जा सकती हैं।

बॉटेनिकल गार्डेन : सुखना झील और रॉक गार्डन के बीचोबीच 88 एकड़ भूमि पर बना है वनस्पति जगत का यह अनुपम गार्डनजो पेड़-पौधों में रुचि रखने वालों के लिए अच्छा पर्यटन स्थल है।

रॉक गार्डन : सेक्टर एक में मौजूद रॉक गार्डन के निर्माता नेकचंद एक कर्मचारी थे जो दिनभर साइकिल पर इधर से उधर बेकार पड़ी फेंकी गई वस्तुओं को बीनते रहते और उन्हें यहां सेक्टर एक में इकट्ठा करते रहते। धीरे-धीरे फुर्सत के क्षणों में लोगों द्वारा फेंकी गई फालतू चीजों से ही उन्होंने ऐसी उत्कृष्ट आकृतियों का निर्माण किया कि देखने वाले दंग रह गए। नेकचंद के रॉक गार्डन की कीर्ति अब देश-विदेश की सरहदें पार कर कलाप्रेमियों के दिलों में घर कर चुकी है।

चंडिका देवी : शक्ति की देवी चंडिका देवी का मंदिर जो कालका-चंडीगढ़ मार्ग पर स्थित है, हिंदुओं की प्रिय धर्मस्थली है।पंजाबी मूल के अधिक लोग यहां बसे हैं, इसलिए यहां की प्रमुख भाषा पंजाबी, हिंदी और अंग्रेजी है।केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा प्राप्त चंडीगढ़ पंजाब और हरियाणा की राजधानी भी है। यहां की जलवायु बहुत ही सुखद है।भीषण गर्मी में यहां सूती कपड़े और जींस आदि पहने हुए लोग देखे जा सकते हैं।सर्दियों के लिए गर्म मोजे, स्वेटर, जैकेट और शॉल पर्याप्त हैं।

यहां सेक्टर-17 में स्थित बाजार की शान देखते ही बनती है।देश के सबसे महंगे शहरों में गिने जाने वाले इस शहर के बाजार में यदि शापिंग करने का मन हो तो विंडो शॉपिंग से मन को बहलाने का मौका कभी न चूकें।

कैसे जाएँ : चंडीगढ़ रेल, सड़क और वायुमार्ग से दिल्ली से सीधा जुड़ा हुआ है।शहर में यातायात के लिए टूरिस्ट टैक्सियां उपलब्ध हैं।चंडीगढ़ रेलवे स्टेशन और बस स्टैंड पर सिटको के कार्यालय से संपर्क साधा जा सकता है और रिक्शा स्टैंड से प्रीपेड आटो रिक्शा भी लिया जा सकता है।

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