सतरंगी भारत में होली भी रंग – बिरंगी
न्यूज डेस्क
पूरे देशभर में होली के पर्व का धूम देखने को मिल रही है। होली का त्यौहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है। इस त्यौहार में रंगो का खास महत्व है। भारत के विभिन्न-विभिन्न हिस्सों में होली का त्यौहार मनाया जाता है
उत्तर प्रदेश में ब्रज की बरसाने की ‘लट्ठमार होली’ अनोखी और विश्व प्रसिद्ध है। यहां होली खेलने के लिए रंगों के स्थान पर लाठियों व लोहे तथा चमड़े की ढालों का प्रयोग किया जाता है। महिलाएं लाठियों से पुरुषों को पीटने का प्रयास करती हैं जबकि पुरुष ढालों की आड़ में स्वयं को लाठियों के प्रहारों से बचाते हैं।
बिहार में कुछ स्थानों पर रात के समय होली जलाने की प्रथा है। लोग होलिका दहन के समय आग के चारों ओर एकत्रित होते हैं और गेहूं व चने की बालें भूनकर खाते हैं।
पश्चिम बंगाल में होली का आयोजन तीन दिन तक चलता है, जिसे ‘डोलीजागा’ नाम से जाना जाता है। भगवान श्रीकृष्ण के मंदिरों के आस-पास कागज, कपड़े व बांस से मनुष्य की प्रतिमाएं बनाई जाती हैं और छोटी-छोटी पर्णकुटियों का भी निर्माण किया जाता है। शाम के समय मनुष्य की प्रतिमाओं के समक्ष वैदिक रीति से यज्ञ किए जाते हैं और यज्ञ कुंड में मनुष्य की प्रतिमाएं जला दी जाती हैं। उसके बाद लोग हाथों में भगवान श्रीकृष्ण की प्रतिमाएं लेकर यज्ञ कुंड की सात बार परिक्रमा करते हैं। अगले दिन प्रात: भगवान श्रीकृष्ण की प्रतिमा को एक झूले पर सजाया जाता है और पुरोहित मंत्रोच्चार के साथ उसे झूला झुलाता है।
पंजाब में भी हरियाणा की ही भांति होली पर खूब धूमधाम और मस्ती देखी जाती है। लोग रंग और गुलाल से होली खेलकर एक-दूसरे से गले मिलते हैं।
हरियाणा कृषि प्रधान राज्य में होली के दिन महिलाएं व्रत रखती हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाएं पारंपरिक लोकगीत गाते हुए समूहों में होलिका दहन के लिए जाती हैं और पूजा अर्चना करती हैं तथा होलिका दहन के पश्चात व्रत खोलती हैं।
हिमाचल प्रदेश में होलिका दहन के पश्चात् बची हुई राख को ‘जादू की शक्ति’ माना जाता है और यह सोचकर इसे खेत-खलिहानों में डाला जाता है कि इससे यहां किसी प्रकार की विपत्ति नहीं आएगी और फसल अच्छी होगी।
गुजरात में होली का पर्व ‘हुलासनी’ के नाम से मनाया जाता है। होलिका का पुतला बनाकर उसका जुलूस निकाला जाता है और होलिका के पुतले को केन्द्रित कर लोग तरह-तरह के हंसी-मजाक भी करते हैं।
महाराष्ट्र में होली का त्यौहार ‘शिमगा’ नाम से मनाया जाता है। यहां इस दिन घरों में झाड़ू का पूजन करना शुभ माना गया है। पूजन के पश्चात् झाड़ू को जला दिया जाता है।
जयपुर के आस-पास के कुछ क्षेत्रों में होलिका दहन के साथ पतंग जलाने की भी प्रथा है। बीकानेर में मनाई जा रही ‘डोलचीमार होली’ कहलाती है।