July 4, 2024     Select Language
Editor Choice Hindi KT Popular दैनिक

लिंगायत को अलग धर्म का दर्जा

[kodex_post_like_buttons]
न्यूज डेस्क
आखिर लिंगायत समुदाय को अलग धर्म का दर्जा मिल ही गया। आज कर्नाटक सरकार ने कैबिनेट की बैठक में लिंगायत समुदाय की अलग धर्म की मांग को लेकर बड़ा फैसला लिया है। सरकार ने नागमोहन दास कमेटी की सिफारिशों को मान लिया है और फैसले में लिंगायत को अलग धर्म का दर्जा दिया गया है।
सरकार के फैसले के बाद लिंगायत समुदाय के लोग अलग धर्म का पालन कर सकते हैं। इससे पहले लिंगायत समुदाय के लोगों ने मुख्यमंत्री सिद्धारमैया से मुलाकात करके उनके धर्म को अलग मान्यता देने के साथ उन्हें अल्पसंख्यक का दर्जा देने की मांग की थी।
हालाँकि शुरू से ही भाजपा और हिंदू संगठन इसका विरोध करते रहे हैं। वे नहीं चाहते हैं कि लिंगायत और वीरशैव को अलग-अलग धर्म माना जाए। इनका सिद्धारमैया सरकार पर आरोप है कि वह प्रदेश में लोगों को राजनीतिक लाभ के लिए बांट रही है। भाजपा नेता बीएस येदियुरप्पा ने कहा कि वह समाज को बांटने नहीं देंगे और लिंगायत को अलग धर्म के रूप में नहीं स्वीकार करेंगे।
गौरतलब है कि कर्नाटक में इसी साल अप्रैल या मई महीने में विधानसभा चुनाव होने हैं। राहुल गांधी प्रदेश के प्रभावशाली लिंगायत समुदाय से जुड़े धार्मिक मठों में गए थे।
बता दें कि,लिंगायत समुदाय मुख्य रूप से बासवन्ना (12वीं सदी) के फॉलोअर्स माने जाते हैं। वासवन्ना ने मूर्ति पूजा का विरोध किया था। वेदों की व्यवस्था खारिज की थी।
लिंगायत को वीरशैव भी माना जाता है। वीरशैव शिव की उपासना करते हैं। लेकिन लिंगायत इसे सही नहीं मानते हैं।
लिंगायत समुदाय प्रमुख रूप से कर्नाटक के उत्तरी इलाके में प्रभाव रखती है। दक्षिणी इलाके में वोक्कालिगा समुदाय प्रभावशाली हैं। इन दोनों जातियों के बीच अब प्रतिस्पर्धा रहती है।
लिंगायत कर्नाटक की अगड़ी जातियों में आते हैं। राज्य की आबादी में 18 % लिंगायत हैं।

Related Posts

Leave a Reply