सिर्फ २ लाख में ‘आम लोग’ ले पाएंगे रेलवे अधिकारियों की सलून की सुविधा
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न्यूज डेस्क
रेलवे कह रही है यह है आम यात्रिओं के लिए सुविधा। जिसके लिए खर्चने होंगे सिर्फ 2 लाख। लेकिन क्या कोई आम यात्री कही जान के लिए रेलवे सलून पर 2 लाख खर्च कर सकता है? यानि यह सुविधा उच्चवर्गों तक ही सिमित रहेगी। यह सुविधा है रेलवे अधिकारियों के लिए प्रयोग होने वाले रेलवे सैलून। जो की रेलवे के अनुसार अब आम यात्रियों के लिए भी उपलब्ध होंगे।यात्रियों की सुविधा के लिए रेल मंत्रालय की ओर से यह नई सुविधा शुरू की गई है। नई सुविधा के तहत आई.आर.सी.टी.सी. ने इस तरह की पहली सेवा पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन से शुरू की है। निजी यात्री द्वारा जम्मू मेल में बुक कराया गया पहला सैलून वैष्णो देवी कटरा की यात्रा पर पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन से रवाना किया गया।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक रेलवे सैलून में यात्रा कर रहे परिवार ने इसकी बुकिंग आई.आर.सी.टी.सी. से 2 लाख रुपए में 6 यात्रियों के लिए बुक कराया गया था। जो 4 दिन की यात्रा पर निकले हैं। रेलवे की तरफ से अधिकारियों के लंबे रूट पर यात्रा करने के लिए इन सैलून को अंग्रेजों के समय में तैयार किया गया था। इसमें चलते-फिरते लग्जरी होटल की तरह सुविधाएं होती है। इसमें हर बेडरूम में अटैच्ड टॉयलेट-बाथरूम होते हैं।
बता दें कि सैलून ब्रिटिश काल में जब रेलवे लाइन बिछाई जा रही थी, तो दूरदराज के इलाकों में ठहरने की व्यवस्था नहीं होती थी। उस वक्त अधिकारियों के ठहरने के लिए ट्रेन में ही स्पेशल डिब्बों का इंतजाम किया जाता था, इन डिब्बों को ही सैलून कहा जाता है। आज भी ये सुविधा रेलवे अधिकारियों को दी जाती है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक रेलवे सैलून में यात्रा कर रहे परिवार ने इसकी बुकिंग आई.आर.सी.टी.सी. से 2 लाख रुपए में 6 यात्रियों के लिए बुक कराया गया था। जो 4 दिन की यात्रा पर निकले हैं। रेलवे की तरफ से अधिकारियों के लंबे रूट पर यात्रा करने के लिए इन सैलून को अंग्रेजों के समय में तैयार किया गया था। इसमें चलते-फिरते लग्जरी होटल की तरह सुविधाएं होती है। इसमें हर बेडरूम में अटैच्ड टॉयलेट-बाथरूम होते हैं।
बता दें कि सैलून ब्रिटिश काल में जब रेलवे लाइन बिछाई जा रही थी, तो दूरदराज के इलाकों में ठहरने की व्यवस्था नहीं होती थी। उस वक्त अधिकारियों के ठहरने के लिए ट्रेन में ही स्पेशल डिब्बों का इंतजाम किया जाता था, इन डिब्बों को ही सैलून कहा जाता है। आज भी ये सुविधा रेलवे अधिकारियों को दी जाती है।