नकली बनारसी बेच भारत को करोड़ों का चुना लगा रहा बांग्लादेश, बुनकरों ने मोदी से लगायी गुहार
जीआई पंजीकरण के बावजूद बांग्लादेश में नकली बनारसी साड़ियां बनाई जा रही हैं और उसे दुनिया के अलग अलग देशों में सप्लाई की जा रही हैं। जिससे बुनकर पेशे से जुड़े लोगों के आगे अब आजीविका का संकट खड़ा हो गया है।
बता दें की हथकरघा पर तैयार बनारस, मीरजापुर, भदोही, चंदौली, आजमगढ़ की उत्पादित साड़ी की मारीशस, सूरीनाम, थाईलैंड, जापान, कोरिया, श्रीलंका आदि देशों में इसका अत्यधिक निर्यात किया जाता है। जियोग्राफिकल इंडिकेशन (जीआइ ) में पंजीकृत ‘बनारसी साड़ी’ की वहां धड़ल्ले से बुनाई की जा रही। वहां के एक स्थानीय अखबार में प्रकाशित इससे संबंधित रिपोर्ट से मिली जानकारी पर सकते में आए बनारस के पंजीकृत जीआइ प्रोपाइटरों ने कानूनी कार्रवाई का खाका खींचना शुरू कर दिया है।
इस मामले को अंतरराष्ट्रीय फोरम पर उठाने की तैयारी है और पीएम मोदी को पत्र भी लिखा। जानकारी के मुताबिक बांग्लादेश के रंगपुर, गंगा छारा, हाथीपारा, सौधुपारा समेत विभिन्न हिस्सों में बड़े पैमाने पर बनारसी साड़ी के कारखाने चला रहे हैं। अब बुनकर व स्वयंसेवी संस्थाएं कार्रवाई के लिए साक्ष्य जुटाने में लगी हैं।
ह्यूमन वेलफेयर एसोसिएशन के निदेशक व जीआइ विशेषज्ञ डा. रजनीकांत कहते हैं कि यह राष्ट्रीय स्तर पर धोखाधड़ी का मामला है। इसे वाणिज्य व वस्त्र मंत्रालय को गंभीरता से लेना चाहिए। जीआइ रजिस्ट्री चेन्नई, डीआइपीपी-वाणिज्यमंत्रलय व वस्त्र मंत्रलय के संज्ञान में मामले को लाकर बनारसी साड़ी के अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रजिस्टर्ड प्रोपराइटर सरकार के सहयोग से कानूनी कार्रवाई करेंगे।
बांग्लादेश में बनारसी साडी के नाम पर हो रहे कारोबार से बनारस के बुनकर काफ़ी परेशान है। बुनकरों की मानें तो डुप्लीकेट बनारसी साडी के कारण बनरसी साडी के छवि काफ़ी खराब होती जा रही है। बुनकरों ने इस मामले में पीएम नरेंद्र मोदी से हस्तक्षेप करने की अपील कि है।