July 3, 2024     Select Language
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थाईलैंड में बसे अयोध्या की खूबसूरती देख भूल जायेंगे भारत के रामजन्मभूमि  को 

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ट्रेवल  डेस्क
दक्षिण पूर्व एशिया स्थित देश थाईलैंड भी प्रभु श्रीराम के जीवन से प्रेरित है। थाईलैंड के प्रमुख पर्यटन स्थलों में आता है प्राचीन शहर अयोध्या। अयोध्या का उल्लेख इतिहास में स्याम राज्य की राजधानी के तौर पर किया गया है। छोप्रया, पालाक एवं लोबपुरी नदियों के संगम पर बसा द्वीपनुमा शहर अयोध्या व्यापार, संस्कृति के साथ-साथ आध्यात्मिक अवधारणाओं का भी गढ़ रहा है। अयोध्या नगरी की स्थापना एवं इसके इतिहास में यहां के आस-पड़ोस की जगहों का काफी महत्व और योगदान है।

इसका नामकरण भारत के अयोध्या के नाम पर हुआ। पुरुषोत्तम राम के जीवन चरित पर भारत में भगवान वाल्मीकि द्वारा लिखी गई रामायण थाईलैंड में महाकाव्य के रूप में प्रचलित है। लिखित साक्ष्यों के आधार पर माना गया है कि इसे दक्षिण एशिया में पहुंचाने वाले भारतीय तमिल व्यापारी और विद्वान थे। पहली सदी के अंत तक रामायण थाईलैंड के लोगों तक पहुंच चुकी थी। वर्ष 1360 में राजा रमाथीबोधी ने तर्वदा बौद्ध धर्म को अयोध्या शहर का शासकीय धर्म बना दिया था।

पुरातत्व शोधकर्ताओं के अनुसार पत्थरों के ढेर में तबदील हुए अयोध्या का एक स्वर्णिम इतिहास रहा है। यहां स्थित अवशेष इसके वैभव का बखान करते हैं। इन्हीं अवशेषों के आसपास आधुनिक शहर बस जाने से अयोध्या थाईलैंड के प्रमुख पर्यटन स्थलों में शुमार हो गया है, जिसे देखने प्रति वर्ष तकरीबन दस लाख लोग आते हैं।

1767 में म्यांमार के नागरिकों ने अयोध्या पर चढ़ाई करके इसे लूट लिया और तहस-नहस कर डाला। 1976 में थाइलैंड की सरकार ने इस शहर के पुनर्निर्माण पर ध्यान दिया। यहां के जंगलों को साफ करके अवशेषों की मुरम्मत की गई और विश्व पटल पर इसे खड़ा किया गया।

अयोध्या का मुख्य आकर्षण है शहर के मध्य स्थित प्राचीन पार्क। थाईलैंड सरकार ने सोचा कि शहर में स्थित बौद्ध प्रतिमाओं को बचाने का सिर्फ एक उपाय है कि इनके आकार को बिगाड़ दिया जाए इसलिए इन प्रतिमाओं के सिर हटाकर उन्हें संग्रहालयों में रखा गया।

सबसे ज्यादा खास वह प्रतिमा है जिसमें बुद्ध का सिर सैंड स्टोन से बनाया गया है और एक पीपल के वृक्ष की जड़ों में जकड़ा हुआ है। यह वृक्ष अयोध्या में वट महाथाट यानी 14वीं शताब्दी के प्राचीन साम्राज्य की  स्मृति चिन्हों वाले मंदिरों के अवशेषों में मौजूद है।

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