सुप्रीम कोर्ट का फैसला : कम उम्र में शादी तो रह सकते हैं लिव इन
कोर्ट ने यह फैसला पिछले साल अप्रैल में में हुए एक मामले में किया। केरल निवासी तुषारा (19) की शादी नंदकुमार (20) के साथ हुई थी। लेकिन, हिंदू मैरेज एक्ट के तहत लड़का शादी की उम्र (21 साल) का नहीं था। फिर भी दोनों की शादी हो गई। इसके फ़ायदा उठाते हुए लड़की के पिता ने दूल्हे पर अपनी बेटी की किडनैपिंग का केस दर्ज कर दिया।
इसके बाद हाईकोर्ट ने लड़की को पेश होने के लिए कहा. फिर उसकी शादी रद्द कर दी और लड़की को उसके पिता के पास भेज दिया। हाईकोर्ट के फैसले को पलटते हुए जस्टिस एके सिकरी और जस्टिस अशोक भूषण की बेंच ने कहा, अपनी पसंद का जीवन साथी चुनने के अधिकार को न तो कोई कोर्ट कम कर सकता है ना ही कोई व्यक्ति, संस्था या फिर संगठन।
शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि संसद ने भी घरेलू हिंसा अधिनियम, 2005 से महिलाओं के संरक्षण के प्रावधान तय कर दिए हैं. लिव इन रिलेशनशिप भी इस एक्ट में कवर होता है।