July 1, 2024     Select Language
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सावधान : अपना फोटो खूबसूरत बनाकर शेयर करते रहने से होगी यह खतरनाक बीमारी 

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सोशल मीडिया के दौर से पहले हमारे द्वारा खींची हुईं तस्वीरें यादों समेत खामोशी से एल्बम में सिमट जाती थीं। जब कभी भी हम उन्हें दोबारा देखते थे तो कुछ पलों के लिए मीठी यादें और सुकून दे जाती थी। ये उन दिनों की बात है जब कैमरा इंसान की खूबसूरती नहीं, उस पल की यादें सहजते थे और तस्वीरें खींचने वालों के दिमाग पर भी खूबसूरत और सबसे अलग दिखने का भूत नहीं चढ़ा होता था।

आज के स्मार्टफोन और सोशल मीडिया के दौर में कैमरा चेहरे को खूबसूरत दिखाने के फिल्टरेस से लैस है और लोगों के दिमाग में खुद को अलग दिखाने के प्रयास से तरह-तरह के सोशल मीडिया ऐप्स की टाइमलाइन पर सजी तस्वीरों में खुशियों से ज्यादा सनक दिखती है। हर कोई सच से ज्यादा झूठ, खुद को अलग पेश करने की सोशल मीडिया ऐप्स की दौड़ में बिना गिरे बस जीतने की ख्वाहिश रखता है। इस चक्कर में वह बाहर से भले ही खुद को कितना अच्छा दिखा लें लेकिन उनका दिमाग इसके साइड इफेक्ट्स को झेल रहा है। रोज़ लाइक, डिस्लाइक की चिंता, कम कमेंटस के आने पर मूड खराब हो जाना इत्यादि।

हाल ही में एक रिपोर्ट में कहा गया है कि सोशल मीडिया ऐप्स मेंटल हेल्थ के लिए नुकसान दायक हैं। इनमें इंस्टाग्राम एप्प का नाम सबसे ऊपर है। इस वजह से लोगों में खासकर यंग जेनरेशन में बॉडी इमेज और बॉडी कॉनफिडेंस को लेकर डिप्रेशन देखा जा रहा है।

बढ़ता है डिप्रेशन:-

आजकल सोशल मीडिया पर तस्वीरों के लेकर काफी टफ कंपटीशन हो गया है। लड़के-लड़कियां सभी सोशल साइट्स पर खुद को खूबसूरत दिखाना चाहते हैं। इंस्टाग्राम ने क्रेज़ीनेस को और बढ़ा दिया है। और लड़कियों जैसा ही आलम लड़कों का भी है। हालांकि लड़कियों के लिए एप्प में फिल्टर्स और एडिटिंग टूल्स के ऑप्शन ज्यादा होने की वज़ह से वो अपनी तस्वीर और भी बेहतर बना सकती हैं।

कभी-कभी ये पागलपन हमारे लिए डिप्रेशन या कॉम्प्लेक्स जैसी परेशानियां भी लेकर आता है। हम ये भी कंपेयर करते हैं कि हमारी लेटेस्ट फोटो पर पिछली फोटो से कितने लाइक्स या कमेंट ज्यादा आए हैं। यह हमारी सोच पर असर डालता है। कई बार घटती पोप्यूलैरिटी देखकर लोग कुछ देर के लिए ही सही पर डिप्रेस ज़रूर फील करते हैं।

एक शोध में 20,000 लोगों पर रिसर्च की गई। इस रिसर्च में मौजूद लोगों से फेसबुक, इंस्टाग्राम, यू-ट्यूब, ट्विटर और स्नैपचैट जैसी सोशल साइट्स पर 15 सवाल पूछे गए। इस रिसर्च में ये बात सामने आई कि लोगों को इन एप्स को यूज़ करते रहने से बेचैनी, डिप्रेशन और अकेलेपन जैसी परेशानियां होती हैं।

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