नक़ल कर बनेगा कृत्रिम हाथ, होगा आसानी से इस्तेमाल
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न्यूज डेस्क
विज्ञान अब इतना आगे बढ़ गया है कि शरीर के कई हिस्सों के हानि होने के बाद उसे फिर से बनाने की छमता रखता है। जैसे की कृत्रिम कलाइयां और हाथ।वैज्ञानिकों ने कृत्रिम कलाइयां और हाथ बनाने की एक नई तकनीक विकसित की है
जिनका मरीज आसानी से इस्तेमाल कर सकेंगे। अमेरिका की नॉर्थ कैरोलिना स्टेट यूनिवर्सिटी के अनुसंधानकर्ताओं द्वारा विकसित यह तकनीक कम्प्यूटर के उन प्रारूपों पर आधारित है जो बांहों, कलाइयों और हाथों की प्राकृतिक संरचना के काम की करीब से नकल कर सकते हैं।
इसका इस्तेमाल गेमिंग और कम्प्यूटर की सहायता से बनने वाले डिजाइन (कैड) जैसे एप्लीकेशनों के लिए नए कम्प्यूटर इंटरफेस उपकरणों को विकसित करने में भी किया जा सकता है। कृत्रिम अंगों की मौजूदा तकनीक मशीन अध्ययन पर निर्भर होती है, जो कृत्रिम अंगों के कार्यों को नियंत्रण करने के लिए प्रतिरूप पहचान की पद्धति पैदा करता है।
इस पद्धति में उपयोगकर्ता को उपकरण को मांसपेशियों की गतिविधि करने के विशेष तरीके को पहचानना सिखाना होता है और उन्हें आदेशों के अनुसार ढालना होता है जैसे किसी कृत्रिम हाथ को खोलना या बंद करना। नॉर्थ कैरोलिना स्टेट यूनिवर्सिटी के एक प्रोफेसर ही हुआंग का कहना है कि प्रतिरूप पहचान नियंत्रण में मरीजों को कृत्रिम अंगों को प्रशिक्षित करने की एक लंबी प्रक्रिया से गुजरना होता है।
उन्होंने कहा कि हम उन बातों पर ध्यान केंद्रित करना चाहते थे, जो हम मानव शरीर के बारे में पहले से जानते हैं।
अनुसंधानकर्ताओं ने इसके लिए मांसपेशियों का एक ढांचा विकसित किया। उन्होंने 6 स्वयंसेवियों की बांह पर इलेक्ट्रोमायोग्राफी सेंसर लगाए और यह पता लगाया कि उनकी हाथों और कलाइयों की गतिविधि के दौरान नसों और मांसपेशियों को प्रभावित करने वाले कौन से संकेत भेजे गए।
इस डेटा का इस्तेमाल कर फिर एक जेनरिक प्रारूप तैयार किया गया जिसमें यह संकेत डाले