July 7, 2024     Select Language
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अभी नहीं, तो कहीं जीवन भर न पड़े पछताना

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कोलकाता टाइम्स 
अक्सर ऐसा होता है कि हम अपने दोस्तों, ऑफिस के लोगों, सहकर्मियों की तो बहुत इज्जत करते हैं और ये लोग यदि हमारी थोड़ी भी वक्त-बेवक्त मदद कर दें तो हम इनका एहसान चुकाने की कोशश करते हैं। लेकिन हम उन लोगों को कैसे भूल जाते हैं, जो हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा होते हैं और जिनके सहयोग के बिना सुबह से रात तक के कोई भी काम हम अकेले नहीं कर सकते। वे लोग जो हमारे सबसे करीबी होते हैं। ये लोग हमारे इतने करीब होते हैं कि हम इन्हें देखना ही भूल जाते हैं। जी हां, यहां हम बात कर रहे हैं मां की…
देर रात को भी बिना किसी शिकायत के मेरी मनपसंद सब्जी के साथ मेरी राह देखती मां की सबसे ज्यादा कीमत मुझे अब समझ में आती है। वाकई कितना आसान था उस समय उसे यह कह देना कि- मैं तो बाहर से खाकर आया हूं। आज नौकरी के चलते पहली बार घर से दूर आया हूं। यहां अपने कपड़े खुद धो रहा हूं और रोज बाहर का कच्चा-पक्का खा रहा हूं, तब समझ में आ रहा है कि मां को वो इंतजार और उसके बाद मिलने वाला मेरा जवाब कितना चुभता होगा पर उसने कभी शिकायत नहीं की। इस बार सबसे पहले घर जाकर मां से अब तक के किए की माफी मांगूंगा।

ऐसा ही एक और सामान्य उदाहरण उस पति का भी हो सकता है जिसकी पत्नी सालों से उसकी दिनचर्या के हिसाब से उसे भोजन पकाकर देने, ऑफिस के लिए अलमारी से कपड़ों के साथ-साथ मैचिंग रूमाल निकालकर रखने, हर महीने में दी गई धनराशि में घर खर्च चलाने, बच्चों को स्कूल लाने-छोड़ने से लेकर बिजली का बिल भरने तक का काम बिना किसी शिकायत के कर रही है और गाहे-बगाहे अचानक आ टपके उसके दोस्तों की मेहमाननवाजी भी वह थोड़ी चिढ़ या खीज के बाद कर देती है लेकिन पति को तब पत्नी की अहमियत समझ नहीं आती।
श्रवण शक्ति कमजोर हो चुकने के बाद बुजुर्ग पिता का जोर से बोलना आपकी चिढ़ का कारण बन जाता है लेकिन उस समय आप ये भूल जाते हैं कि ये वही पिता हैं, जो बुखार आने पर रात-रातभर आपके सिरहाने बैठे रहे थे या आपके एक महंगे खिलौने की मांग पर जिन्होंने अपने वेतन से अग्रिम लिया था। या फिर किसी पार्टी में पत्नी की साधारण वेशभूषा आपके गुस्से का कारण बन जाती है जबकि पत्नी आपके द्वारा दी गई सीमित धनराशि में पूरे घर का खर्च चलाती है और पिछले कई सालों से बाकी खर्चों के चलते अपने लिए साड़ियां लाना टालती जा रही है।

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