अभी नहीं, तो कहीं जीवन भर न पड़े पछताना
ऐसा ही एक और सामान्य उदाहरण उस पति का भी हो सकता है जिसकी पत्नी सालों से उसकी दिनचर्या के हिसाब से उसे भोजन पकाकर देने, ऑफिस के लिए अलमारी से कपड़ों के साथ-साथ मैचिंग रूमाल निकालकर रखने, हर महीने में दी गई धनराशि में घर खर्च चलाने, बच्चों को स्कूल लाने-छोड़ने से लेकर बिजली का बिल भरने तक का काम बिना किसी शिकायत के कर रही है और गाहे-बगाहे अचानक आ टपके उसके दोस्तों की मेहमाननवाजी भी वह थोड़ी चिढ़ या खीज के बाद कर देती है लेकिन पति को तब पत्नी की अहमियत समझ नहीं आती।
श्रवण शक्ति कमजोर हो चुकने के बाद बुजुर्ग पिता का जोर से बोलना आपकी चिढ़ का कारण बन जाता है लेकिन उस समय आप ये भूल जाते हैं कि ये वही पिता हैं, जो बुखार आने पर रात-रातभर आपके सिरहाने बैठे रहे थे या आपके एक महंगे खिलौने की मांग पर जिन्होंने अपने वेतन से अग्रिम लिया था। या फिर किसी पार्टी में पत्नी की साधारण वेशभूषा आपके गुस्से का कारण बन जाती है जबकि पत्नी आपके द्वारा दी गई सीमित धनराशि में पूरे घर का खर्च चलाती है और पिछले कई सालों से बाकी खर्चों के चलते अपने लिए साड़ियां लाना टालती जा रही है।