आम नहीं यह मेला, बुरी आत्माओं से मिलता है छुटकारा
कोलकाता टाइम्स
यहां मान्यता है कि कार्तिक पूर्णिमा से शुरू हुए मेले में तांत्रिकों के आह्वान पर भगवान शिव और मालनमाई स्वयं आते हैं और मानसिक रूप से परेशान लोगों, लोगों में भूत का आना, बुरी आत्माओं से छुटकारा दिलाने की मनोकामना पूरी करते हैं। यहां सदियों से भूतों का मेला लगता है। यहां दूर-दूर से श्रद्धालु बड़ी आस्था के साथ अपनी मनोकामना लेकर आते हैं। यह मेला लगता है मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा के गांव तालखमरा में मालनामाई के प्रसिद्ध मंदिर को केंद्र कर ।
इंसानों से भूत भगाने और मनोकामना सिद्धी के लिए लोग दूर-दूर से बड़ी संख्या में पहुंचते हैं। यह मेला करीब 15 दिन चलता है। छिंदवाड़ा के आदिवासी अंचल में लगने वाले इस मेले के बारे में कहा जाता है कि साल में एक बार भूत प्रेत अपना डेरा डालते हैं और उनको ही खुश करने के लिए यहां बरसों से मेला लगता है क्योंकि पडि़हारों के द्वारा साल भर भूतों को यहां बंधक बनाकर रखा जाता है।
छिंदवाड़ा के जुन्नारदेव आदिवासी गांव तालखमरा में भूतों का यह प्रसिद्ध मेला लगता है। इस मेले की खासियत यह है कि प्रेत बाधा से परेशान और मानसिक रूप से विक्षिप्त रोगियों का उपचार इस मेले में किया जाता है। प्रेत बाधा से ग्रसित व्यक्ति का उपचार पडिहार मंत्रों की शक्ति से करते हैं। उसके बाद प्रेत बाधा से ग्रसित व्यक्ति के हाव-भाव देखकर देखने वाले घबरा जाते हैं। रात के समय में रोंगटे खड़े कर देने वाला दृश्य ताल खमरा मेले में दिखायी देता हैं। दुर्गम स्थानों में रहने वाले तांत्रिक पडिहार और ओझा इस मेले में भूतों को वश में करके एक पेड़ से कैद कर देते हैं और फिर पूरे साल वो उसी पेड़ में रहते हैं। फिर से वे किसी को परेशान ना कर सकें इसलिए य़े मेला उको खुश करने के लिए हर साल लगाया जाता है।
आसपास के क्षेत्रों के बुजुर्ग लोग कहते हैं कि एक चरवाहे का आए स्वप्न के बाद से यहां भूतों का मेला लगने लगा। मेला समिति के अध्यक्ष मदन ऊईके बताते हैं कि मेला कई सालों से लगता आ रहा है। स्कूल शिक्षक गंगाप्रसाद सिंगोतिया बताते हैं कि यहां पर शरीर से ऊपरी बाधाओं और भूत-प्रेत पर काबू पाया जाता है। यह हम बचपन से ही देखे आए हैं। मालनमाई के प्रति आसपास के क्षेत्र के लोगों की गजब की आस्था है। एक दर्शनार्थी बताते हैं कि मैं यहां 40 सालों से यहां आता हूं। यहां की मान्यता है कि सब बलाएं दूर होती हैं।