धोनी ने जीत का जश्न ना मना ऑस्ट्रेलिया को आसमान से जमीं खड़ा कर दिया था
कोलकाता टाइम्स
गाली का जवाब गाली नहीं। अपने सभ्य अंदाज से दें। कुछ ऐसी ही नसीहत अपनी टीम को दी थी धोनी ने। बात हालाँकि साल 2008 में की है ,पर इसका राज अब जाकर खुलहै। भरत सुंदरेशन की किताब ‘द धोनी टच’ में भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी के बारे में बताया गया है कि उन्होंने हमेशा अपने खिलाड़ियों को मां-बहन की गाली देने के लिए मना किया। मैदान पर जितना मर्जी टेंशन भरा माहौल हो पर धोनी हमेशा कूल ही रहते हैं। साल 2008 में भारतीय टीम ने आॅस्ट्रेलिया का दौरा किया और यह धोनी की कप्तानी में पहला विदेशी दौरा था। उस वक्त आॅस्ट्रेलियाई टीम अपनी आक्रामकता के लिए जानी जाती थी, लेकिन धोनी ने अपने खिलाड़ियों से किसी भी विरोधी के साथ छेड़छाड़ के लिए मना किया था।
2008 में काॅमनवेल्थ बैंक सीरीज के दौरान आॅस्ट्रेलिया की पूरी टीम 159 रनों पर आॅलआउट हो गई थी। तब धोनी ने अपनी टीम के खिलाड़ियों से कहा था कि वह जीत का जश्न ना मनाए। भरत सुंदर ने अपनी किताब में यह बताया कि, ”माही ऑस्ट्रेलियाई टीम को ये संदेश देना चाहते थे कि उन्हें हराना कोई बड़ी बात नहीं है। अगर हम जीत का ज्यादा जश्न मनाते तो ऑस्ट्रेलियाई टीम को लगता कि ये एक उलटफेर हुआ है। हम उन्हें ये जताना चाहते थे कि ये तुक्का नहीं है। ये आगे भी होता रहेगा।”
धोनी के एक करीबी दोस्त ने किताब में कहा, ”धोनी अपनी स्टाइल में गोली मारते हैं। धोनी का मानना था कि अगर वो अपने खिलाड़ियों को मां-बहन की गाली देने की छूट दे देते तो उनका खेल नहीं, बल्कि उनकी बातें विरोधियों को परेशान करती।