इस मंदिर में भगवन तो है पर कभी नहीं होती उनकी पूजा

कोलकता टाइम्स
चाहे किसी भी मंदिर में चले जाये वहां भगवान की पूजा जरूर होती है। लेकिन अगर आपसे कहा जाये एक ऐसे मंदिर के बारे में जहाँ भगवान तो हैं लेकिन उनकी पूजा कभी नहीं होती। अचरज हुई ना ! हम आपको एक ऐसे ही मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जंहा पर भगवान की पूजा नहीं की जाती। पुरी में मौजूद भगवान जगन्नाथ की पूजा नहीं की जाती है।
ऐसा कहा जाता है कि भगवान विष्णु जब चारों धामों पर बसे अपने धामों की यात्रा पर गए थे तब उन्होंने हिमालय की ऊंची चोटियों पर बने अपने धाम बद्रीनाथ में स्नान किया था। इसके बाद पश्चिम में गुजरात के द्वारिका में वस्त्र धारण किये थे फिर वह पुरी में निवास करने लगे और बन गए जग के नाथ अर्थात जगन्नाथ और उन्हें जगन्नाथ के रूप में आज भी माना जाता है।
जगन्नाथ धाम चार धामों में से एक है, इस स्थान पर जगन्नाथ के बड़े भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ विराजमान है। भगवान कृष्ण ही जगन्नाथ का रूप है। पूरी में जगन्नाथ के साथ उनके भाई बलभद्र (बलराम) और बहन सुभद्रा की मूर्तियां काष्ठ की बनी हुई हैं जिसके चलते यहां प्रत्येक 12 साल में सिर्फ एक बार प्रतिमा का नया कलेवर किया जाता है।
इन मूर्तियों का निर्माण किया जाता है लेकिन उनका अकार और रूप वैसा का वैसा ही होता है। ऐसा कहा गया है कि इन मूर्तियों की पूजा नहीं होती केवल यंहा मूर्तियां दर्शन के लिए रखी गई है।