ऑनलाइन कंपनियों के साथ ग्राहकों को बड़ा झटका, अब नहीं मिलेंगे डिस्काउंट
ड्राफ्ट पॉलिसी के अनुसार अब रैस्टोरैंट से खाना डिलीवर करने वाली वैबसाइट्स स्वीगी और जोमाटो, सर्विस प्रोवाइडर अर्बन क्लैप व पेटीएम और पॉलिसी बाजार को भी इस कानून के तहत लाया जाएगा जिससे इन पर भी लगाम लगेगी। इसके अलावा भी भारत में जितनी ई-कॉमर्स विदेशी वैबसाइट्स हैं। सभी को भी इन्हीं नियमों का पालन करना होगा। ड्राफ्ट में ई-कॉमर्स सैक्टर में संबंधित शिकायतों की देखरेख के लिए डायरैक्टोरेट ऑफ एन्फोर्समैंट में एक अलग विंग बनाने का सुझाव दिया गया है।
वैबसाइट पर सामान बेचने वाले कई बार अपने सामान को ज्यादा बेचने और अच्छा दिखाने के लिए फर्जी रेटिंग देते हैं। जिससे लोग इस पर विश्वास करके सामान खरीद लेते हैं लेकिन सामान वैसा नहीं निकलता जैसा दिखाया जाता हैं। ऐसे में उपभोक्ता धोखाधड़ी का शिकार हो जाता है। इन्हीं सब धोखाधड़ी को रोकने के लिए सरकार ने कॉमर्स मिनिस्टर सुरेश प्रभु के नेतृत्व में एक हाई लेवल थिंक टैंक का गठन किया था। जिसकी दूसरी मीटिंग जल्द ही राजधानी में होने जा रही है। इसमें चर्चा के लिए ड्राफ्ट पॉलिसी को रखा जाएगा।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने विदेशी इकाइयों के साथ प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से अथवा भारत में किसी कंपनी के जरिए प्रौद्योगिकी हस्तांतरण या सहयोग के मामलों में रॉयल्टी भुगतान की सीमा तय करने का प्रस्ताव किया है। सूत्रों ने कहा कि अब इस प्रस्ताव को अंतर मंत्रालयी विचार-विमर्श के लिए जारी किया जाएगा। इस तरह के भुगतान की सीमा पहले 4 साल तक 4 प्रतिशत घरेलू बिक्री तथा 7 प्रतिशत निर्यात तक सीमित करने का प्रस्ताव है।