कोलकाता टाइम्स
सहारा या रुब-अल खाली जैसे बड़े रेगिस्तानों के बारे में आपने कहीं ना कहीं पढ़ा जरूर होगा। हो सकता है कि भारत-पाकिस्तान के बीच फैले थार, सऊदी अरब, मिस्र, मंगोलिया, नामीबिया, मोरक्को, ओमान के रेगिस्तान कभी देखे भी हों। लेकिन क्या अापने दुनिया के सबसे छोटे रेगिस्तान को देखा या इसके बारे में सुना है :
कनाडा के युकोन सूबे में कारक्रॉस डेजर्ट नाम का एक छोटा-सा रेगिस्तान है। इसका रकबा महज एक वर्ग मील का है जिसे कदमों से भी मापा जा सकता है। इस रेगिस्तान के पास ही बसा कारक्रॉस गांव करीब 4500 साल पहले आबाद हुआ था। यहां कुल 301 लोग रहते हैं। स्थानीय निवासी कीथ वॉल्फ स्मार्च का कहना है कि ये जगह यहां के लोगों के लिए भी एक पहेली है। कीथ लकड़ी पर नक्काशी का काम करते हैं और यहां की प्राकृतिक छटा उन्हें अपने काम में नए-नए तजुर्बे करने की प्रेरणा देती है। क्रॉस रिवर के किनारे बहुत तरह की दुर्लभ वनस्पतियां हैं, लेकिन इनके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं।
कारक्रॉस डेजर्ट काफी ऊंचाई वाले इलाके पर है। सदियों तक ये इलाका लोगों की जानकारी के बाहर था। अब से करीब 4500 साल पहले यहां बैनेट और नारेस झीलें आपस में मिलती थीं और कुदरती तौर पर एक पुल बन गया था। इस पुल के सहारे ही लोगों ने पलायन करना शुरू किया और यहां कारक्रॉस गांव बसा।
पुल बनने के बाद कारिबू नाम की जंगली जनजाति के झुंड यहां आकर बसने लगे। इन्हीं के साथ नताशाहीन नदी के नजदीक शिकार के मकसद से तिलिंगित और तागिश नाम के घुमंतू कबीले आकर बसने लगे। लिहाजा कारिबू और क्रॉसिंग शब्दों के आवाजों को मिलाकर इस जगह का नाम कारक्रॉस रख दिया गया। कारक्रॉस तक जो भी पहुंचा है उसने यहां सफेद रंग से सजे पुराने चर्च, एक जरनल स्टोर, पुरानी जंग लगी कुल्हाड़ियां और बारहसिंघों के सींगों से सजे कुछ केबिन जरूर देखे होंगे। ये सब चीजें क्लॉनडिक दौर की हैं। ये वौ दौर था जब डॉसन सिटी और अटलिन के पास लोग सोने की खुदाई के लिए आते थे।
लेकिन आज हालात बदल चुके हैं। कारक्रॉस डेजर्ट को अब एडवेंचर प्लेग्राउंड के तौर पर विकसित किया जा चुका है। हर हफ्ते यहां बड़ी संख्या में एडवेंचर प्रेमी आते हैं। गर्मी के मौसम में एक तरफ यहां बाइक प्रेमी अपना शौक पूरा करने आते हैं, तो वहीं दूसरी तरफ ये जगह पहाड़ी बकरियों, हिरणों, और डैल भेड़ के लिए पनाहगाह भी बनती है। सर्दी के मौसम में यहां बर्फ खूब पड़ती है और रेत पर जमा बर्फ का मजा लेने वालों की संख्या बढ़ जाती है।
कारक्रॉस डेजर्ट सिर्फ सैलानियों का ही गढ़ नहीं बल्कि कनाडा के वैज्ञानिकों और भूवैज्ञानिकों के लिए रिसर्च सेंटर भी है जो ये पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि पूरे बर्फीले इलाके में ये छोटा-सा रेगिस्तान कैसे बन गया। युकोन जियोलॉजिकल सर्वे की भूवैज्ञानिक पनाया लिपॉस्की का कहना है कि कारक्रॉस का जन्म कुदरत की करीब दस हजार साल की मेहनत का नतीजा है।
हालांकि कुछ लोग ये कहते हैं कि झील सूखने की वजह से ये रेगिस्ताना बना है, जबकि ऐसा बिल्कुल नहीं है। लिपॉस्की का कहना है कि आज भी बैनेट झील के पास तेज रेतीली हवाएं चलती हैं जिसकी वजह से यहां छोटे-छोटे रेत के टीले बन जाते हैं। कहा जा सकता है कि हिम-युग, पानी और हवा ने मिलकर इस बुलंदी पर एक अद्भुत रेगिस्तान को जन्म दिया है।
कारक्रॉस डेजर्ट के वर्गीकरण को लेकर भी कई मत हैं। कोई कहता है इसे शुष्क रेगिस्तान का दर्जा दिया जाए तो कोई कहता है इसे नमी वाला इलाका माना जाए। साइंस के हिसाब से शुष्क रेगिस्तान के दर्जे के लिए किसी भी जगह पर साल में 250 मिलीमीटर से कम बारिश होना चाहिए। जबकि अर्धशुष्क रेगिस्तान वो होता है जहां साल में 250-500 मिलीमीटर बारिश होती है। इस लिहाज से कारक्रॉस डेजर्ट को अर्ध-शुष्क डेजर्ट के वर्ग में रखा जा सकता है, क्योंकि आसपास के पहाड़ों की बारिश का असर यहां की रेत पर पड़ता है। एक बात का और खास ख्याल रखने की जरूरत है। रेगिस्तान में किसी तरह का पौधा नहीं उग सकता।
तमाम विरोधाभासों के बावजूद कारक्रॉस को लेकर एक बात पर सबकी सहमति है कि ये जगह आश्चर्य और भय पैदा करती है। यहां आप जितना आगे बढ़ते जाएंगे खौफ बढ़ता जाएगा, लेकिन खौफ से आगे आपको युकोन भेड़िये और गर्मी के मौसम में बाइकल सेज फूल खूब देखने को मिलेंगे। इसके अलावा अब तक जीवों की कई दुर्लभ नस्लें यहां मिल चुकी हैं।