भारत का ऐसा शहर, न धर्म, न पैसा, ना ही कोई सरकार
[kodex_post_like_buttons]

कोलकाता टाइम्स
भारत में एक शहर ऐसा भी है जहां न तो धर्म है, न पैसा है और ना ही कोई सरकार। आप सभी यह सोच रहे होंगे कि भारत में तो शायद ही कोई ऐसा शहर हो। लेकिन यह सत्य है। इस जगह का नाम ऑरोविले है। आपको बता दें कि इस शहर की स्थापना 1968 में मीरा अल्फाजों ने की थी।
ऑरोविले नामक ये जगह चेन्नई शहर से केवल 150 किलोमीटर दूर है। इस जगह को सिटी ऑफ डॉन यानी भोर का शहर भी कहा जाता है। आप सभी को जानकर ताज्जुब होगा कि इस शहर को बसाने के पीछे सिर्फ एक ही मकसद रहा था। यहां पर लोग जात-पात, ऊंच-नीच और भेदभाव से दूर रहें। यहां कोई भी इंसान आकर बस सकता है लेकिन इसके लिए एक शर्त रखी गई है।
शर्त सिर्फ इतनी सी है कि उसे एक सेवक के तौर पर यहां रहना होगा। यह एक तरीके की प्रयोगिक टाउनशिप है जो की विल्लुप्पुरम डिस्ट्रिक तमिलनाडु में स्थित है। मीरा अल्फाजों जिन्होंने इस शहर की स्थापना की वह श्री अरविंदो स्प्रिचुअल रिट्रीट में 29 मार्च 1914 को पुदुच्चेरी आई थी।
प्रथम विश्वयुद्ध के बाद वह कुछ समय के लिए जापान चली गई थी लेकिन 1920 में वह वापस से यहा लौटी और 1924 में श्री अरविंदो स्प्रिचुअल संस्थान से जुड़ गई जिसके बाद से वह जनसेवा के कार्य करने लगी। भारत में मीरा अल्फाजों को लोग ‘मां’ कहकर पुकारने लगे थे।
1968 आते आते उन्होंने ऑरोविले की स्थापना कर दी जिसे यूनिवर्सल सिटी का नाम दिया गया जहा कोई भी कही से भी आकर रह सकता है। ‘ओरोविले’ शब्द का मतलब एक ऐसी वैश्विक नगरी से है, जहां सभी देशों के स्त्री-पुरुष सभी जातियों, राजनीति तथा सभी राष्ट्रीयता से ऊपर उठकर शांति एवं प्रगतिशील सद्भावना की छांव में रह सकें।
ओरोविले का उद्देश्य मानवीय एकता की अनुभूति करना है। साल 2015 तक इस शहर का आकार में बढ़ता चला गया और इसे कई जगह सराहा भी जाने लगा। आज इस शहर में करीबन 50 देशों के लोग रहते हैं। इस शहर की आबादी तकरीबन 24000 है। यहां पर एक भव्य मंदिर भी है।
ओरोविले का उद्देश्य मानवीय एकता की अनुभूति करना है। साल 2015 तक इस शहर का आकार में बढ़ता चला गया और इसे कई जगह सराहा भी जाने लगा। आज इस शहर में करीबन 50 देशों के लोग रहते हैं। इस शहर की आबादी तकरीबन 24000 है। यहां पर एक भव्य मंदिर भी है।
आपने सभी मंदिरों में किसी न किसी देवी-देवता की तस्वीर या मूर्ति देखी होगी लेकिन ऑरोविले के मंदिर में ऐसी कोई मूर्ति या तस्वीर आपको देखने को नहीं मिलेगी। दरअसल, यहां धर्म से जुड़े भगवान की पूजा नहीं होती। यहां लोग आते हैं और सिर्फ योगा करते हैं।
नगर के बीचोंबीच मातृमंदिर स्थित है। यूनेस्को ने इस शहर की भी प्रशंसा की है और आपको यह बात शायद नहीं पता होगी कि यह शहर भारतीय सरकार के द्वारा समर्थित है। भारत के राषट्रपति रहते हुए डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम और प्रतिभा पाटिल भी ऑरोविले का दौरा कर चुके है।