मोदी के इस फैसले से फीका पड़ने वाला है बकरीद की कुर्बानी
कोलकाता टाइम्स
आने वाला है इस्लाम का पवित्र त्योहार बकरीद। जिसे ईद-उल-अज़हा और ईद-उल-ज़ुहा भी कहा जाता है। माना जा रहा है बकरीद 2018 इस बार 21 या 22 अगस्त को पड़ सकती है। लेकिन इस साल यह त्यौहार रुकावटों भरा होने वाला है। वजह है मोदी सरकार का एक अहम फैसला। ईद-उल-ज़ुहा के दिन मुस्लिम समुदाय के लोग बकरे या किसी अन्य पशु की कुर्बानी देते हैं। इस्लाम में इस दिन को फर्ज़-ए-कुर्बान का दिन कहा गया है। लेकिन बकरीद के पहले ही मोदी सरकार ने देश के सभी सी पोर्ट्स से बकरियों और भेड़ों के निर्यात पर रोक लगा दी है।
देश में सभी बंदरगाहों से पशुधन निर्यात पर सरकार ने अनिश्चितकालीन रोक लगा दी है। जानवरों के हितों के लिए काम करने वाली संस्थाओं की मांग को देखते हुए सरकार ने यह निर्णय लिया है। PETA ने की सरकार से गुजारिश हाल ही में पशुओं के हितों के लिए काम करने वाली संस्था PETA ने सभी राज्य सरकारों को पत्र लिखकर मांग की है कि बकरीद के अवसर पर होने वाले पशुओं की अवैध तरीके से कुर्बानी को रोका जाए। पेटा ने कहा है कि पशुओं का वध सिर्फ लाइसेंस वाले बूचड़खाने में ही होना चाहिए। जिसके देखते हुए सरकार ने ये कदम उठाया हैं।
निर्यातकों को यह भी कहना है की सरकार के ऐसा करने से हमे काफी नुकसान उठाना पडे़गा। क्योंकि हमने अनुमति मिलने के बाद विदेशी ग्राहकों से हमने अडवांस पेमेंट भी ले लिया था। सरकार के इस कदम से अब हमे करोड़ों रुपये का नुकसान होने जा रहा है।
वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, मवेशियों का एक्सपोर्ट 2013-14 में 69.30 करोड़ रुपए था, जो 2016-17 तक 527.40 करोड़ रुपये हो गया। जबकि 2017-18 में यह गिरकर 411.02 करोड़ रुपये हो गया है। एनडीए सरकार के दौरान देश से पशुधन निर्यात में काफी तेजी देखने को मिली थी।