इंसान के जीन्स की जांच के बाद भविष्य में होने वाली बीमारियों का पता लगाना आसान हो चुका है। अब अन्य चिकित्सा पद्धतियां भी इस ओर चल पड़ी हैं। इन्हीं में शामिल है जीनो होम्योपैथी। जीनो होम्योपैथी पर शोध कर रहे चिकित्सकों का दावा है कि, इस नई विधा के जरिये मरीजों को ना सिर्फ लाभ बल्कि 10 साल बाद होने वाले बीमारी का भी पता लगाया जा सकता है।इनका कहना है कि विश्वभर में जीन टार्गेटेड थेरेपी की अलग-अलग चिकित्सकीय विधियां सामने आ रही हैं।
डॉ. बत्रा मल्टी-स्पेशियलिटी होम्योपैथी क्लीनिक्स के चेयरमैन डॉ. मुकेश बत्रा ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि दो लोगों के जीन्स कभी एक जैसे नहीं हो सकते। प्रत्येक व्यक्ति का जीन्स फिंगरप्रिंट या पुतली की तरह भिन्न होता है। नई पैथी के तहत आज की चिकित्सा पद्धति की तरह दो व्यक्तियों को एक ही उपचार नहीं दिया जाएगा, बल्कि हरेक का उपचार भिन्न होगा। इसमें दवाइयां भी हर व्यक्ति की जीन्स संरचना के आधार पर दी जाती हैं।
उनका दावा है कि ये दवाइयां ज्यादा प्रभावी तरीके से काम करेंगी। उन्होंने बताया कि जीनो होम्योपैथी टेस्ट को उनके डॉक्टरों ने तैयार किया है। इसके लिए जीनोमिक्स और मेडिसिन के क्षेत्र में विशेषज्ञ सलाहकारों की मदद भी ली गई है। एलर्जी, बच्चों की सेहत, बालों के झड़ने, प्रिवेंटिव हेल्थ (पुरुष/महिला/बच्चे), त्वचा संबंधी रोग, तनाव, वजन प्रबंधन, महिलाओं के स्वास्थ्य और सेक्स संबंधी समस्याओं का उपचार इससे किया जा सकता है।