‘रश्मि’ है इंसानों को समझनेवाली, घंटों बतियाने में माहिर रोबोट
नजाकत और टेक्नोलॉजी के कॉम्बिनेशन से बनी इस रोबोट में कई ऐसी खासियतें हैं, जिनके बूते वो भारत का टेक्निकल फ्यूचर बन सकती है। रश्मि की पूरी कहानी जानकर हर भारतीय का सीना गर्व से चौड़ा हो जाएगा। रश्मि को किसने बनाया? उसमें क्या-क्या गुण हैं? चलिए जानते हैं।
दुनिया की पहली हिंदी बोलने वाली रोबोट बनाने का श्रेय झारखंड की राजधानी रांची के निवासी रंजीत श्रीवास्तव को जाता है। 38 वर्षीय रंजीत मैनेजमेंट से ग्रेजुएट हैं। रंजीत के अनुसार, वे दुनिया को दिखाना चाहते थे कि भारत किसी से कम नहीं। इसी मंशा से उन्होंने रश्मि को बनाने की ठानी।
दुनिया की सबसे बुद्धिमान रोबोट मानी जाने वाली सोफिया की तरह ही रश्मि भी ह्यूमनॉयड रोबोट है। इसे आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस, लिंग्युस्टिक इंटरप्रिटेशन, विजुअल डाटा और फेशियल रिकगनिशन सिस्टम की मदद से बनाया गया है। जिसके चलते रश्मि भावनाएं समझने, चेहरे पहचानने और अलग-अलग भाषाएं बोलने में कामयाब होती है।
भारतीय रोबोट रश्मि की खासियतों में से एक है उसका भाषा ज्ञान। रश्मि हिंदी और इंग्लिश के साथ-साथ मराठी और भोजपुरी में भी बात कर सकती है। वो सिर्फ शब्द सुनकर उसका उत्तर नहीं देती, बल्कि शब्दों के पीछे छिपी भावनाओं का अर्थ समझकर जवाब देती है।
रंजीत के कहे अनुसार, रश्मि को बनाने में लगभग दो साल का समय लगा और अब तक करीब 50 हजार रुपये खर्च हो चुके हैं। यह रोबोट अपना चेहरा, आंखें, होंठ और आईब्रो हिला सकती है। साथ ही बातचीत के दौरान गर्दन घुमाकर इशारे भी करती है।
रश्मि के कानों में हियरिंग डिवाइस और आंखों में कैमरा लगाए गए हैं। जिसके चलते वो एक-दो बार मिलने पर ही किसी भी व्यक्ति को अच्छी तरह से समझ जाती है और फिर उस इंसान से घंटों बातें कर सकती है। इतना ही नहीं, रश्मि सामने वाले के लिप मूवमेंट भी ऑब्जर्व कर सकती है।