भारतीय पुरुषों और महिलाओं के बीच चौकाने वाला वेतन भेदभाव
कोलकाता टाइम्स
भारत में महिलाओं की स्थिति सुधारनी की जगह बदतर होती जा रही है। खासकर वेतन के मामले में। वर्ष 1993 के बाद दो दशक तक भारत में वेतन और असमानता की समस्या बनी हुई है। स्त्री-पुरुष, नियमित-अनियमित और शहरी-ग्रामीण सभी मामलों में महिलाएं पुरुषों से पीछे रह गयी हैं। अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) के खुलासे से पता चला है, ग्रामीण इलाकों में अनियमित वर्कर के तौर पर काम करने वाली महिलाओं का वेतन देश में सबसे कम 104 रुपए रोजाना है। उन्हें शहरों में संगठित क्षेत्र के पुरुषों की तुलना में सिर्फ 22 फीसदी वेतन मिलता है।
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1993-94 में स्त्री-पुरुष के वेतन का अंतर 48 फीसदी था। यह 2011-12 में घटने के बावजूद 34 फीसदी था। सोमवार को जारी इंडिया वेज रिपोर्ट के अनुसार संगठित क्षेत्र में औसत दैनिक वेतन 513 रुपए है। असंगठित क्षेत्र में यह सिर्फ 166 रुपए यानी संगठित क्षेत्र का 32 फीसदी है।
1993-94 में 29.8 फीसदी नियमित और 70.2 फीसदी अनियमित वेतनभोगी थे। 2011-12 में नियमित 37.9 फीसदी और अनियमित 62.1 फीसदी हो गए। राष्ट्रीय आय में श्रमिकों के वेतन की हिस्सेदारी कम हुई है। यह 1981 में 38.5 फीसदी थी, जो 2013 में घटकर 35.4 फीसदी रह गई।