बिना ऑपरेशन के ही होगा इलाज
कोलकाता टाइम्स
अब शरीर के अन्दर इलाज करने के लिए चीरा लगाने की जरुरत नहीं पड़ेगी। अब बिना चीरे की इलाज संभव होगा। कनाडा के वैज्ञानिकों ने ऐसी ही एक तकनीकी का विकास किया है। जिसके जरिये शरीर कि आंतरिक संरचना की जांच के लिए अब चीरा लगाने की जरुरत नहीं।
अगर ये तकनीक सफल साबित होती है तो चिकित्सा जगत में यह एक क्रांतिकारी कदम होगा। इससे मरीजों के साथ साथ डॉक्टरों को बड़ी रहत मिलेगी। वैज्ञानिकों ने ऐसी प्रणाली विकसित कर ली है, जिसके जरिए जल्द ही मस्तिष्क की त्वचा के अंदर की बीमारी ठीक करने के लिए स्कैलपल (डॉक्टरों के इस्तेमाल में आने वाली छुरी) की जरूरत नहीं पड़ेगी।
प्रोजेक्टडीआर नाम से इस नई प्रणाली के जरिये सीटी स्कैन और एमआरआइ जैसी इमेजिंग तकनीक से उपलब्ध डाटा को मरीज के शरीर पर सीधे तौर पर प्रदर्शित किया जा सकेगा। इस प्रणाली में अगर इस दौरान मरीज हिलता-डुलता है तो डेटा भी हिलता डुलटा नजर आएगा।
वैज्ञानिक इयान वाट्स के मुताबिक वह इसे बेहतर बनाने की दिशा में भी काम कर रहे हैं। इसके तहत आटोमैटिक कैलिब्रेशन की सुविधा दी जाएगी और गहराई में देखने वाले सेंसर भी लगाए जाएंगे। यूनिवर्सिटी के प्रो। पेरी बोलांगर के मुताबिक, अगले चरण के लिए इसकी व्यवहारिकता की जांच की जा रही है। कनाडा की यूनिवर्सिटी ऑफ अल्बर्टा के इयान वाट्स के मुताबिक, हम एक ऐसा सिस्टम बनाना चाहते थे जो डॉक्टरों को मरीजों के शरीर की आंतरिक रचना को दिखाने में सक्षम हो। संवर्धित वास्तविकता (एआर) वास्तविक दुनिया का एक लाइव प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष दृश्य है। इसे कंप्यूटर द्वारा मानव के शरीर की अवधारणा के आधार पर संवर्धित कर दिया जाता है।
इस नई प्रणाली में इंफ्रारेड कैमरों और मार्करों की मदद से गति पर निगाह रखी जाती है। प्रोजेक्टर पर तस्वीर भी दिखाई देती रहेगी। वाट्स का कहना है कि मरीज के शरीर के हिलने-डुलने पर तस्वीरों को ट्रैक करना आसान नहीं होता। इस तकनीक के जरिये किसी विशेष हिस्से की बढ़ती हुई तस्वीर देखी जा सकेगी।