रिसर्च ने किया खुलासा भविष्य में इस धर्म का होगा दुनिया पर राज
कोलकाता टाइम्स
क्या कभी इस बात पर गौर किया है कि भारत में किस समुदाय की जाति का भविष्य में पल्ला भारी होने वाला है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस) के आंकड़े भी इस बात को वजन देते हैं। पहला एनएफएचएस 1991-92 में हुआ था। दूसरा 1998-99 में और तीसरा 2005-06 में। 1991-92 में हिंदू महिलाओं के लिए प्रजनन दर 3.3 दर्ज की गई थी जबकि मुस्लिम महिलाओं के लिए यह आंकड़ा था 4.41..
इसके बाद 1998-99 में हिंदुओं के लिए यह दर 2.78 और मुसलमानों के लिए 3.59 दर्ज हुई। 2005-06 में यह क्रमश: 2.59 और 3.4 हो गई। यानी हिंदू महिलाओं के साथ मुस्लिम महिलाओं की प्रजनन दर में भी बीते 15 सालों के दौरान लगातार कमी आई है। इस आंकड़े को दूसरी तरह से भी देखा जा सकता है। 1998-99 में जहां एक हजार हिंदू महिलाओं ने 278 बच्चों को जन्म दिया था वहीं 2005-06 में यह आंकड़ा 19 कम यानी 259 हो गया।
धर्म ग्रोथ अनुमान
मुस्लिम73%
ईसाई 35%
हिंदू 34%
नास्तिक 20%
यहूदी 9%
अन्य 6%
बौद्ध -0.3%
इसी अवधि में 1000 मुस्लिम महिलाओं के लिए भी यह गिरावट 19 की ही रही। 1998-99 में जहां उन्होंने औसतन 359 को बच्चों को जन्म दिया था वहीं 2005-06 में यह आंकड़ा 340 हो गया। कह सकते हैं कि मुसलमान महिलाएं हिंदू महिलाओं से औसतन लगभग एक संतान ज्यादा पैदा कर रही हैं।
भारत सरकार के आंकड़े ही बताते हैं कि 1991 से 2001 के बीच जहां मुसलमानों की आबादी 29 फीसदी बढ़ी वहीं 2001 से 2001 के दौरान यह आंकड़ा गिरकर 24 फीसदी पर आ गया आइआइपीएस ने भी अपनी रिपोर्ट में 1991 से 2001 के दौरान कई राज्यों में मुस्लिम आबादी की वृद्धि दर गिरने की बात कही है। गोवा, केरल, तमिलनाडु जैसे राज्यों में वास्तव में ऐसा हो भी रहा है।
जानकारों के मुताबिक बीते कुछ दशकों के दौरान बेहतर हुई स्वास्थ्य और शैक्षिक सुविधाओं के चलते औसत उम्र बढ़ी है और छोटे परिवार के फायदों के बारे में जागरूकता भी। इसका एक नतीजा यह भी हुआ है कि दूसरे समुदायों की तरह मुस्लिम समुदाय की भी प्रजनन दर घटी है।
इस वजह से उसकी आबादी में बढ़ोतरी की रफ्तार कम हुई है। भारत सरकार के आंकड़े ही बताते हैं कि 1991 से 2001 के बीच जहां मुसलमानों की आबादी 29 फीसदी बढ़ी वहीं 2001 से 2001 के दौरान यह आंकड़ा गिरकर 24 फीसदी पर आ गया।
रिपोर्ट के मुताबिक, अभी अमेरिका में मुस्लिमों की आबादी कुल जनसंख्या का करीब एक प्रतिशत है और 2050 तक इसके 2.1 प्रतिशत होने की उम्मीद है। मुस्लिम देशों से दूसरे देशों में जाने वाले इमीग्रेंट्स की वजह से दूसरे देशों और यूरोप में भी इनकी आबादी बढ़ने की उम्मीद
रिपोर्ट में सभी धर्मों के मानने वालों की संख्या बढ़ने का अनुमान लगाया गया है। लेकिन बौद्ध इकलौता धर्म है, जिसकी आबादी घटने की बात कही गई है। रिपोर्ट के मुताबिक बौद्ध आबादी 2050 तक माइनस 0.3% तक घटने का अनुमान है। 2050तक भारत में मुस्लिम आबादी ईसाइयों की तुलना में 4 गुना तक बढ़ जाएगी। जबकि हिंदू 33% और ईसाई 18% हो जाएंगे।