इसके थल सेना में महज 10 सैनिक,फिरभी राष्ट्र का गौरव
कोलकाता टाइम्स
यूरोप में एक देश मौजूद है जो एक अन्य देश के भीतर ही बसा हुआ है। उजुपिस नाम का ये स्वघोषित राष्ट्र लिथुआनिया की राजधानी विलनियस के अंदर एक वर्ग किलोमीटर से भी कम क्षेत्रफल वाला है। उजुपिस ने खुद को रिपब्लिक घोषित कर दिय है आैर उसका अपना नियुक्त किया राष्ट्रपति, सरकार, संविधान और मुद्रा भी है। इतना ही नहीं देश की जल आैर थल सेना भी है। भले ही इसकी थल सेना में महज 10 सैनिक
आैर नौसेना बस 4 या 5 नावें हैं। हिंदुस्तान के एक मोहल्ले जितने बड़े इस देश की आबादी भी लगभग 7,000 ही बतार्इ जा रही है। मेट्रो डाॅट को डाॅट यूके के मुताबिक ये दुनिया के सबसे देशों में से एक हापे सकता है।
करीब 22 साल पहले शुरू हुर्इ आजादी की प्रक्रिया : संयुक्त सोवियत संघ के दौर के आर्किटेक्चर जैसे देश उजुपिस ने 1990 के दशक में सोवियत संघ के विघटन के बाद भी उस दौर के निशान नहीं मिटाये आैर कई मूर्तियां लगी रहने दी थीं। ये 1995 का समय था जब स्थानीय कलाकारों ने सोवियत मूर्ति हटाकर अमेरिकी रॉकस्टार फ्रेंक जापा की मूर्ति लगा दी थी। उसी समय से इस घटना को आजादी का प्रतीक मानते हुए लोकतंत्र की मांग की गर्इ। इसके बाद 1 अप्रैल 1997 को उजुपिस ने लिथुआनिया से आजादी का ऐलान कर दिया। हांलाकि अभी तक किसी भी देश ने उजुपिस को आधिकारिक दर्जा नहीं दिया है। उजुनिस को विलनील नदी बाकी लिथुआनिया से अलग करती है आैर लोग नदी पर बने पुल को पार कर यहां प्रवेश करते हैं। केवल स्वतंत्रता दिवस 1 अप्रैल को आने वाले लोगों को पुल पार करके पासपोर्ट पर सील लगवानी पड़ती है। बाकी दिनों में सीमा पर कोई सुरक्षा गार्ड नहीं होता। इस देश के संविधान का कई भाषाओं में अनुवाद भी हो चुका है।
अनोखे उसूल आैर विचारधारा : उजुपिस के संस्थापकों ने अपने देश को लेकर अजीबो गरीब विचारधारा आैर उसूल बताये हैं। सूत्रों के मुताबिक उनका मानना है कि इस देश की स्थापना अरस्तू की विचारधारा पर की गर्इ है। जिसमें बताया गया है कि किसी महान देश में रहने वाले लोग की आबादी 5 हजार से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। क्योंकि इंसान का दिमाग ज्यादा लोगों को याद नहीं रख सकता आैर इस वजह से धोखाधड़ी की संभावना भी कम होगी। दूसरा तथ्य है कि उनके देश का झंडा खास है। इसमें एक गोले के अंदर एक खुला हुआ पवित्र हाथ बना है। जो इस बात का प्रतीक है कि वे घूस नहीं लेते।
आजादी : आप भले ही ये गाते हों किसारे नियम तोड़ दो पर उजुपिस में रहने वाले वाकर्इ एेसा मानते आैर करते हैं। यहां आते ही आप अपने मालिक खुद बन जाते हैं। कोई सामाजिक दायित्व नहीं केवल अपने बारे में ही सोचना है। यहां दुनिया नियम कानून आैर प्रोटोकाल जैसा कुछ पालन नहीं किया जाता। शहर के मेयर, मशहूर खिलाड़ी या चित्रकार को एक साथ मस्ती करते देखा जा सकता है। 1997 में उजुपिस का गठन हुआ आैर 1998 में इसका संविधान बना। खास बात है कि इसे बस तीन घंटे में लिख दिया गया था। इसके अंर्तगत देश के हर नागरिक को गर्म पानी, सर्दियों में घर गर्म रखने के उपकरण और टाइल्स लगी छत पाने का अधिकार अनिवार्य रूप से दिया गया है।