यहां है विलुप्त होते गिद्धों के लिए विशेष रेस्तरां
कोलकाता टाइम्स
पक्षियों की एक प्रजाति गिद्ध को पर्यावरण रक्षक कहा जाता है, पर शहरों के बढ़ते दायरे के कारण जमीन पर रहने वाले जीव ही नहीं, बल्कि गिद्ध भी विलुप्त होते जा रहे हैं। इनके संरक्षण के लिए उत्तर प्रदेश के लखनऊ विश्वविद्यालय के जूऑलजी विभाग की प्रोफेसर अमिता कन्नौजिया ने गिद्ध रेस्तरां की पहल की है। उनकी कोशिशों से पहला गिद्ध रेस्तरां ललितपुर में खोला गया है। यहां एक खुले मैदान में गिद्धों के लिए खाना डाला जाता है, लेकिन इसे चारों ओर से कवर किया गया है, जिससे दूसरे जानवर न आ सकें।
प्रोफेसर अमिता कन्नौजिया ने बताया कि यूपी में गिद्धों की कुल आठ प्रजातियां पाई जाती हैं। इनमें पांच प्रजातियां यहां प्रजनन भी करती हैं। उन्होंने बताया कि जूऑलजी विभाग के तीन शोधार्थी गिद्धों के प्रजनन पर शोध कर रहे हैं। पहले मोहनलालगंज, कैंट, बाराबंकी और लखनऊ के आउटर पर गिद्ध पाए जाते थे, लेकिन अब ये विलुप्त हो गए हैं।
शोध में सामने आया है कि उन्नाव में कुछ साल पहले तक 250 इजिप्शियन गिद्ध देखे जाते थे, जो आज 50 के आसपास ही रह गए हैं। साल 2011 के आंकड़ों के मुताबिक, यूपी में 2080 गिद्ध थे, जो अब बहुत कम हो गए हैं। शोधार्थी शिवांगी और रूबी के शोध में सामने आया है कि लोग गिद्धों के घोंसले तक तोड़ देते हैं। प्रोफेसर अमिता कन्नौजिया ने बताया कि गिद्ध पर्यावरण के सफाई कर्मचारी हैं। ये मरे हुए जानवरों की हड्डियों का चूरा करके खाते हैं। यह अगर पर्यावरण में खुले में ऐसे ही पड़ा रहे तो बीमारियां फैल सकती है। प्रोफेसर अमिता के मुताबिक, सरकार को हर इलाके में गिद्ध रेस्तरां खोलना चाहिए। इससे शहर भी साफ रहेगा और गिद्धों का संरक्षण भी होगा।