July 2, 2024     Select Language
Editor Choice Hindi KT Popular धर्म सफर

इस गांव में जंजीर से बंधे रावण को बैठने की इजाजत नहीं, वजह जान चौंक जायेंगे

[kodex_post_like_buttons]
कोलकाता टाइम्स
बुरे का अंत बुरा… यह बात तो हर समय याद रखी जानी चाहिए। मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में इसका प्रबंध है। यहां कुछ जगहों पर रावण की विशालकाय प्रतिमाएं स्थापित हैं। ये प्रतिमाएं मिट्टी या गत्ते की नहीं, बल्कि पत्थर आदि से बनी हुई पक्की प्रतिमाएं हैं। कुछ तो 400 साल पुरानी तक हैं। छत्तीसगढ़ में तो लगभग हर गांव में दशानन की विशाल प्रतिमाएं देखने को मिल जाएंगी।
दिलचस्प बात यह कि इन प्रतिमाओं को गांव के बाहर ही खुले आसमान तले खड़ा किया गया है। चलन यह भी कि प्रतिमा को लोहे की जंजीर से जकड़ कर रखा जाता है। जहां जंजीर नहीं, वहां पेंट से जंजीर बना दी जाती है, जो रावण के पैर में पड़ी रहती है। संदेश यह कि न केवल गांव, बल्कि दैनिक आचरण में रावणरूपी बुराई के लिए कोई स्थान नहीं है। उसे जंजीर से जकड़ बाहर ही रखना चाहिए। गांव के बाहर जंजीर से जकड़ कर रखा गया रावण लोगों को साल के 365 दिन और हर समय आगाह करता है-सावधान! बुरे का अंत बुरा।
किसी दौर में गांवों व बस्तियों के बाहर खड़ी रावण की ये प्रतिमाएं भी अब आबादी के बीच में आ गई हैं। रायपुर से लगे गांव जुलुम, टेकारी, सांकरा, रावणभाटा आदि में भी रावण की प्रतिमाएं दूसरे प्रदेशों से आने वालों के बीच जिज्ञासा का सबब होती है।

मंदसौर, मध्य प्रदेश के खानपुरा क्षेत्र में लगभग 400 वर्षों से नामदेव समाज रावण को अपना जमाई राजा मानकर पूजता चला आ रहा है। दशहरे पर जमाई राजा का वध भी किया जाता है। खास बात यह है कि दशहरे की शाम को प्रतीकात्मक वध से पहले सुबह जाकर पूजाअर्चना की जाती है और वध की अनुमति भी मांगी जाती है। इधर, कुछ महिलाएं अब भी रावण प्रतिमा के सामने से निकलते समय घूंघट निकालती हैं।

Related Posts