जर्दा, पर्दा और झीलों के शहर में लाजवाब नमकवाले चाय का स्वाद
कोलकाता टाइम्स :
जर्दा, पर्दा और झीलों के शहर भोपाल में खान-पान की भी अलग खासियत है। नवाबी विरासत और नफासत की खूशबू निश्चित ही आज भी हर किसी को आकर्षित करती है। यहां के नान वेजिटेरियन फूड का जायका तो खास है ही, वेजिटिरियन भोजन की लज्जत भी कम नहीं। नवाबी दौर का बेमिसाल यहां की पहचान रहा है। उस समय के खानपान में नॉनवेज ज्यादा शामिल रहता था, इसलिए भोपाल के चर्चित खाने की खासियत प्रमुख तौर पर आज भी नॉनवेज ही है। फिर भी राजधानी भोपाल में तेजी से लोकप्रिय हो रहे लजीज खाने की संस्कृति ने जायके में भी बदलाव लाया है। भोपाल जहां एक और कला संस्कृति के क्षेत्र में अपनी पहचान रखता है, वहीं दूसरी ओर अब यहां का खाना हर कोई पसंद कर रहा है। होटल से लेकर रेस्टोरेंट में पारंपरिक के साथ-साथ इनोवेटिव फूड मेन्यू में शामिल है। इस शहर के होटलों, रेस्टोरेंट और फूड स्टॉल्स में बेहतर खान पान की झलक देखने मिल रही है।
एमपी नगर स्थित मनोहर स्वीट्स के पास स्पेशल वैराइटी की सबसे ज्यादा मिठाइयां हैं। इसमें पहला नंबर सेव स्वीट का आता है। इसे सेवफल और ड्रायफ्रूट से तैयार किया जाता है। सेव स्वीट में दूध, काजू, बादाम, केसर, सेव का गूदा और क्रीम का इस्तेमाल किया जाता है। इसे बनाने में काफी समय लगता है। करीब एक दिन बाद यह तैयार होता है। इसे तैयार करने के बाद काटा और डेकोरेट किया जाता है। इसके साथ -साथ मलाई घेवर, इडली डोकला और स्वीट में गुलाब जामुन और रसगुल्ले की कई किस्मे हैं। खाने से लेकर मिष्ठान की 100 से ज्यादा वैराइटियां हैं।
शहर के लोकप्रिय सागर गैरे ने साल 2008 में गैरे फूड कॉर्नर को शुरू किया था। जहां सबसे ज्यादा लोकप्रिय डिश सैंडविच और बटर पनीर के साथ कुलचा है। सैंडविच के साथ परोसी जाने वाली चटनी खास होती है। साथ ही, सैंडविच में बनी क्रीम उसे खास स्वाद देती है। इसके साथ स्पेशल ग्रीन चटनी होती है। सैंडविच के लिए ताजी ब्रेड का उपयोग होता है। इसलिए यह काफी स्वादिष्ट बनता है। बटर पनीर और कुलचा भी यहां स्पेशल हैं। जिसकी ग्रेवी में खड़े मसालों का उपयोग होता हैं।
भोपाल में नमक वाली चाय काफी लोकप्रिय है। नमक वाली चाय में खास टेस्ट नमक का है जो खड़ा नमक है। एक पात्र में चायपत्ती, शक्कर और खड़ा नमक लेकर उबाला जाता है। इसमें बनी चाय को तांबे के बर्तन में डालकर धीमी आंच पर पकाते हैं। दूसरे बर्तन में गर्म हो रहे दूध में इस चाय को मिलाते हैं और नमक वाली चाय तैयार हो जाती है। इस चाय को पीने से खासतौर पर गले की खराश ठीक हो जाती है। साथ ही कफ, सिर दर्द और खांसी में भी काफी आराम मिलता है। अब पुराने भोपाल में नुक्कड़ों पर भी नमक वाली चाय बनने लगी है।
सुबह से शुरू हुआ दौर देर रात तक चलता है जहां भोपाल के लोग दोस्तों और परिवार के साथ इस चाय को पीने आते हैं। शहर के यंगस्टर्स से लेकर उम्रदराज लोग भी शहर की नमक वाली चाय पसंद करते हैं। लोगों को नमक वाली चाय पीना ठंड के दिनों में ही नहीं, बल्कि हर मौसम में भाता है। फूड एक्सपर्ट बताते हैं कि नमक वाली चाय का टेस्ट तो अच्छा है ही बल्कि इस गर्म पेय के सेहत से जुड़े कई फायदे हैं। नमक वाली चाय की खुशबू एक नया एहसास देती है। मध्य एशिया से आई चाय का संबंध तुर्की और रूस से रहा है। जिसमें भोपाली अंदाज में नमक मिलाकर पेश किया जाने लगा। करीब 150 साल पहले शहर की बेगम सिकंदर तुर्की से इसे लेकर आईं थीं। महलों से निकलकर चाय नुक्कड़ों तक पहुंच गई। इसे समावार की चाय भी कहते हैं। इस चाय की तासीर गर्म और स्वादिष्ट होती है। साथ ही, इसका एरोमा खुशनुमा अहसास देता है।