July 3, 2024     Select Language
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रावण रचित इन खास ग्रंथों को पढ़कर आप भी बन सकते हैं अद्भुत क्षमता के स्वामी 

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कोलकाता टाइम्स :   

रावण का नाम सुनते ही हर किसी के मन में क्रोध पैदा हो जाता है। माता सीता का हरण कर उन्हें पाने के लिए श्री राम से युद्ध करने वाला रावण विश्रवा का पुत्र था।

कहा जाता है कि रावण को केवल उस युग का प्रख्यात पंडित ही नहीं, बल्कि बहुत बड़ा वैज्ञानिक भी माना जाता था। उसके पास असीम ज्ञान था। कहा जाता है कि इंद्रजाल जैसी अथर्ववेद मूलक विद्या की खोज रावण ने ही की थी। उसके पास सुषेण जैसे वैद्य थे, जिन्हें देश-विदेश में पाई जाने वाली जीवन रक्षक औषधियों की जानकारी के साथ-साथ उनके स्थान, गुण-धर्म आदि के बारे में भी पूरा जानकारी थी। कुछ किंवदंतियों की मानें तो रावण की आज्ञा से ही सुषेण वैद्य ने मूर्छित लक्ष्मण की जान बचाई थी।

शिव का परम मायावी रावण भक्त कुशल राजनीतिज्ञ, सेनापति और वास्तुकला का मर्मज्ञ होने के साथ-साथ बहु-विद्याओं का भी जानकार था। उसे मायावी इसलिए कहा जाता था कि वह इंद्रजाल, तंत्र, सम्मोहन और तरह-तरह के जादू जानता था। मान्यता है कि रावण ने कई शास्त्रों की रचना की थी।

रावण ने शिव तांडव स्तोत्र से भगवान शंकर की आरधना की तो भोलेनाथ ने उसकी भक्ति से प्रसन्न होकर उसके माफ कर दिया था। वास्तव में रावण द्वारा की गई ये क्षमा याचना ही कालांतर में शिव तांडव स्तोत्र कहलाया। इसके अलावा अन्य ग्रन्थ अरुण संहिता: कहा जाता है कि संस्कृत के इस मूल ग्रंथ का अनुवाद कई भाषाओं में हो चुका है। मान्यता के अनुसार इस ग्रंथ का ज्ञान सूर्य के सार्थी अरुण ने लंकाधिपति रावण को दिया था। यह ग्रंथ जन्म कुण्डली, हस्त रेखा तथा सामुद्रिक शास्त्र का मिश्रण है।

रावण संहिता: इस ग्रंथ के नाम ही पता चलता है कि इस ग्रंथ में रावण के जीवन से जुड़ी हर बात वर्णित है। रावण संहिता रावण के संपूर्ण जीवन के बारे में बताती है। इसके साथ ही इसमें ज्योतिष की बेहतर जानकारियों का भी भंडार है।
चिकित्सा और तंत्र के क्षेत्र में रावण के ग्रंथ-
दस शतकात्मक अर्कप्रकाश
दस पटलात्मक उड्डीशतंत्र
कुमारतंत्र
नाड़ी परीक्षा
रावण के ये चारों ग्रंथ अद्भुत जानकारी से भरे हैं। रावण ने अंगूठे के मूल में चलने वाली धमनी को जीवन नाड़ी बताया है, जो सर्वांग-स्थिति व सुख-दु:ख को बताती है। रावण के अनुसार औरतों में वाम हाथ एवं पांव तथा पुरुषों में दक्षिण हाथ एवं पांव की नाड़ियों का परीक्षण करना चाहिए।

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