इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से पूरी होगी हर मनोकामना
कोलकाता टाइम्स :
हिंदू पंचांग के अनुसार, आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को पापांकुशा एकादशी कहते हैं। इस एकादशी पर मनोवांछित फल की प्राप्ति के लिए भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। धर्म ग्रंथों के अनुसार, जो मनुष्य कठिन तपस्याओं के द्वारा फल प्राप्त करते हैं, वही फल इस एकादशी से मिलता है और मनुष्य को यमलोक के दु:ख नहीं भोगने पड़ते हैं।
व्रत की विधि इस प्रकार है…
इस व्रत का पालन दशमी तिथि उस के दिन से ही करना चाहिए। दशमी तिथि पर सात धान्य अर्थात गेहूं, उड़द, मूंग, चना, जौ, चावल और मसूर की दाल नहीं खानी चाहिए, क्योंकि इन सातों धान्यों की पूजा एकादशी के दिन की जाती है।
- संकल्प लेने के बाद घट स्थापना की जाती है और उसके ऊपर श्रीविष्णुजी की मूर्ति रखी जाती है। इस व्रत को करने वाले व्यक्ति को रात्रि में विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करना चाहिए।
- इस व्रत का समापन द्वादशी तिथि (21 अक्टूबर, रविवार) की सुबह ब्राह्मणों को अन्न का दान और दक्षिणा देने के बाद होता है।
- एकादशी तिथि पर सुबह उठकर स्नान आदि करने के बाद व्रत का संकल्प लेना चाहिए। संकल्प अपनी शक्ति के अनुसार ही लेना चाहिए यानी एक समय फलाहार का या फिर बिना भोजन का।
- जहां तक संभव हो दशमी तिथि और एकादशी तिथि दोनों ही दिनों में कम से कम बोलना चाहिए। दशमी तिथि को भोजन में तामसिक वस्तुओं का सेवन नहीं करना चाहिए और पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।