July 3, 2024     Select Language
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खुशखबरी : टिश्यूज है तो नयी किडनी, लीवर की फिक्र नहीं 

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कोलकाता टाइम्स :
किडनी, लीवर जैसा शरीर का कोई जरूरी अंग अगर खराब हो जाए तो इंसान का न सिर्पâ जीना मुश्किल हो जाता है, बल्कि इन अंगों का प्रत्यारोपण नहीं होने पर संबंधित व्यक्ति की मौत भी हो जाती है। प्रत्यारोपण के लिए समय पर अंग मिल पाना भी किसी वरदान से कम नहीं होता। ऐसे में अब वैज्ञानिक इस परेशानी से निजात दिलाने के लिए ऊचकों (टिश्यूज) के जरिए इन अंगों को र्नििमत करने की दिशा में काम कर रहे हैं।

इस नई तकनीक के तहत किडनी, लीवर जैसे मानव अंगों को इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरणों की असेंबिंलग करने जैसे तरीके से बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं। इस संबंध में हुए एक हालिया शोध के मुताबिक बायो पी-३ नाम की डिवाइस के जरिए वैज्ञानिकों को मानव अंगों के ऊतकों की बड़ी-बड़ी संरचनाएं बनाने में सफलता मिली है। यह संरचनाएं छोटे जीवित ऊतकों से विकसित की गर्इं। शोधकर्ताओं के मुताबिक भविष्य में बायो पी-३ के उन्नत वर्जन से जरिए लीवर, किडनी या पैंक्रियाज (अग्नाशय) जैसे पूरे अंगों को बनाया जा सकेगा।
वैज्ञानिकों से इन डिवाइस से अब तक एक १६ डोनट रिग्स वाली संरचना और एक मधुमाqक्खयों के छत्ते जैसी संरचना र्नििमत की है। मधुमक्खी के छत्ते की संरचना की हर परत करीब २,५०,००० कोशिकाओं से बनी है हालांकि किसी मानव अंग को बनाने के लिए इतनी कोशिकाएं काफी कम हैं। किसी वयस्क व्यक्ति के लीवर जैसे अंगों में १०० अरब कोशिकाएं होती हैं।
वैज्ञानिकों का कहना है कि र्नििमत की गई संरचनाओं में कोशिकाओं का घनत्व मानव अंगों के बराबर ही है, इसलिए बड़े अंग बनाने का लक्ष्य निाqश्चत रूप से हासिल किया जा सकता है। इस विधि से वैज्ञानिकों ने एच३५ लीवर सेल्स, केजीएन ओवेरियन सेल्स और एमसीएफ-७ स्तन वैंâसर सहित विभिन्न तरह की कोशिकाओं की संरचनाएं र्नििमत करने में सफलता प्राप्त की हैं। इस प्रक्रिया से ऊतकों को बिना नुकसान पहुंचाए एक स्थान से उठाकर लक्षित स्थान पर ले जाया जाता है। इस तरह से नई संरचना का निर्माण करना संभव होता है।

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