November 23, 2024     Select Language
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एकबार जरूर देखे इस ‘नागों का वास’ को 

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कोलकाता टाइम्स : 

ज चलते हैं गुजरात का इकलौता हिल स्टेशन सापूतारा के दिलचस्प सफर पर। वैसे भारत को आप जितना जानेंगे-देखेंगे आप इसे उतना ही नया और अलग पाएंगे। इसकी वजह है कि यहां के कोने-कोने में ऐसे-ऐसे कीमती हीरे छुपे हुए हैं जिन्हें तलाश लाने के लिए चाहिए पारखी और कौतूहल वाली नजर। आप किसी भी दिशा में चले जाएं, कुछ न कुछ नायाब मिल ही जाएगा।

खास बात यह भी है कि हर मौसम के लिए एक अलग डेस्टिनेशन मौजूद है। गर्मियों में पहाड़ों पर सुखद एहसास होता है तो सर्दियों में सुनहरी रेत गर्माहट देती है। यह गुजरात से लेकर केरल तक देश के पश्चिमी सिरे पर पूरी आन, बान और शान से अरब सागर से उठकर आए मेघों को अपने घने जंगलों से पुकारता है। ये मेघ भी मानसून के रूप में केवल वेस्टर्न घाट को ही नहीं, पूरे देश को सराबोर कर देते हैं। सापुतारा सह्याद्रि पर्वतमाला के बीच करीब 1000 मीटर की ऊंचाई पर बसा एक शांत और मनोरम हिल स्टेशन है। किसी ने सच ही कहा है मंजिल से ज्यादा सफर सुहाना होता है। यह बात आपको सापुतारा के रास्ते देखकर खुद महसूस कर सकते हैं। अगर आप नेचर के बीच जाकर उसकी खूबसूरती का जमकर लुत्फ उठाना चाहते हैं तो सापुतारा आपके इंतजार में है।

सापुतारा हिल स्टेशन डांग जिले के जंगली क्षेत्र में स्थित है। यहां के जंगल मदहोश करने वाले हैं। टीक और बांस के पेड़ों से भरी यह वन संपदा कभी अंग्रेजों के लिए भी आकर्षण का केंद्र हुआ करती थी। ब्रिटिश हुकूमत इन जंगलों पर कब्जा करना चाहती थी लेकिन यहां के आदिवासी लोगों ने उनका सपना साकार नहीं होने दिया। तब ब्रिटिश हुकूमत ने यहां के आदिवासी कबीले के मुख्य सरदार के साथ एक संधि की जिसके एवज़ में ब्रिटिश हुकूमत इन जंगलों से कीमती टीक वुड हासिल कर सकी। यह जंगल घर है वर्ली, खुम्बी, भील और डांगी आदिवासी समाजों का। कहते हैं ये लोग 8वीं से 10वीं शताब्दी के दौरान यहां आकर बसे और यहीं के होकर रह गए। खुद को जंगलपुत्र कहने वाला आदिवासी समाज इन जंगलों से अथाह स्नेह रखता है, जिसका असर इनके जीवन के हर पहलू पर आप देख सकते हैं। इनके वाद्य यंत्र बांस के बने होते हैं। इनके लोक नृत्यों में बांस के बने मुखौटों का प्रयोग किया जाता है। शरीर पर बने टैटू में भी पेड़ों की आकृति का उपयोग होता है।

अगर आप सोच रहे हैं लेक सिटी भोपाल या उदयपुर को ही कहा जाता है तो आपको यह भी जान लेना चाहिए कि देश में एक और लेक सिटी है सापुतारा। इसकी वजह है सापुतारा के बीचोंबीच बनी एक सुंदर और मनोरम झील, जो कि सैलानियों का खास आकर्षण है।

सापुतारा का मतलब है ‘नागों का वास’। ऐसी जगह जहां नाग बसते हैं और यह बात सच भी है।  डांग के जंगलों में नागों की बहुत सारी प्रजातियां पाई जाती हैं। होली के मौके पर यहां के डांगी आदिवासी समाज द्वारा सर्पगंगा नदी के तट पर इन नागों की पूजा करता है।

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