फेंके नहीं संभाल कर रखे दूध के दांत, भविष्य में बचाएगा कई जानलेवा बीमारी से
कोलकाता टाइम्स :
अगर आपके बच्चे के दूध के दांत टूटने वाले हैं.. तो उन्हें फेंकने की बजाए आप उन्हें डेंटल स्टेम सेल बैंक में भविष्य में इस्तेमाल के लिए सहेज कर रख सकते हैं। बच्चे के आगे के जीवन में गम्भीर बीमारियों की दशा में ये दांत स्टेम कोशिकाओं के निर्माण में प्रयुक्त हो सकते हैं। आइए जानते हैं कि दूध के दांतों से बनी स्टेम सेल से कैसे भविष्य में होने वाली बीमारियों का इलात किया जा सकता है। भारत में डेंटल स्टेम सेल बैंकिंग नई है लेकिन फिर भी इसे अम्बलीकल कॉर्ड ब्लड बैंकिंग की अपेक्षा अधिक कारगर विकल्प माना जा रहा है। स्टेम सेल थेरेपी में मरीज के शरीर के क्षतिग्रस्त ऊतकों में या किसी गहरे घाव में स्वस्थ व नई कोशिकाएं स्थापित करने में काम आ सकता है। आइए जानते है कैसे ये काम करता है।
अम्बलीकल कॉर्ड और दांत के सेल्स में अंतर विशेषज्ञों का कहना है कि गर्भनाल की स्टेम कोशिकाओं से खून बनाया जा सकता है अम्बलीकल कॉर्ड रक्त सम्बंधी कोशिकाओं की अच्छी स्रोत है। खून सम्बंधी बीमारियों जैसे रक्त कैंसर में इनका इस्तेमाल किया जा सकता है। और दांत के सेल्स जिन्हें डेंटल पल्प स्टेम सेल्स कहते है उनसे नए ऊतक बनाए जा सकते हैं। इसलिए ये दोनों अलग है। सभी बीमारियों में रक्त सम्बंधी बीमारियां केवल चार प्रतिशत ही होती हैं। बची हुई 96 प्रतिशत ऊतक से संबंधित होती है। इसलिए ऊतक सम्बंधी स्टेम कोशिकाएं हासिल करने के लिए दूध का दांत एक अच्छा स्रोत होता है।
किन बीमारियों से बचाती है दांत से बनी स्टेम कोशिकाएं, आंखों के कॉर्निया, मस्तिष्क रोग, मधुमेह रोग, नए बाल उगाना, गुर्दे और लीवर की बीमारियां, पार्किंसन, मस्क्युलर डिस्ट्रॉफी और रीढ़ की हड्डी में तकलीफ ठीक करती है। डेंटल सेल्स का दिल की कोशिकाओं के पुनर्निमाण में भी इस्तेमाल हो सकता है।
पांच से 12 साल के बच्चों के दूध
30 साल तक ही रख सकते है