19 साल बाद इस साल 60 दिन का रहेगा आषाढ़
कोलकाता टाइम्स :
हिन्दू पंचांग के अनुसार इस साल संवत 2072 में आषाढ़ माह दो बार पड़ रहा है यानि यह इस बार 60 दिन का रहेगा। ऐसी मान्यता है कि जब भी हिन्दू पंचांग का कोई माह दो बार पड़ता है तो उस माह को पुरुषोत्तम मास या मल मास कहा जाता है और इस दौरान पूरे माह भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना, तीर्थयात्रा व दान-पुण्य को महत्व दिया जाता है।
19 सालों बाद आषाढ़ माह दो बार पड़ने का संयोग बन रहा है इसलिए इस साल आषाढ़ माह का खास महत्व है। आम तौर पर साल में १२ माह पड़ते हैं, लेकिन 33 माह यानी लगभग हर तीन साल बाद एक बार कोई न कोई माह दो बार अवश्य पड़ने से उस साल 13 माह का संयोग बनता है।
बुधवार 3 जून से आषाढ़ माह शुरू हो चुका है जो 31 जुलाई गुरु र्पूिणमा तक चलेगा। आषाढ़ माह शुरू होने के 15 दिनों बाद 17 जून से लेकर १६ जुलाई तक पुरुषोत्तम मास (मल मास) मनाया जाएगा। इस दौरान भगवान विष्णु की पूजा, विष्णु सहस्त्रनाम, श्रीमद्भागवत कथा का श्रवण करना अति पुण्यदायी माना गया है और गरीबों व ब्राह्मणों को दान-पुण्य करने से आम दिनों में किए जाने वाले दान से कई गुणा अधिक फल की प्रााqप्त होगी।
ज्योतिषी कहते हैं कि हिन्दू पंचांग दो रीति से तैयार किया जाता है इसमें पहला लुनार और दूसरा सोलर। लुनार कैलेंडर का चलन गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्रप्रदेश में ज्यादा है, यह माह कृष्ण पक्ष से शुरू होता है और सोलर कैलेंडर का चलन असम, बंगाल, तमिलनाडु में है जो शुक्ल पक्ष से शुरू होता है। लुनार पद्धति के वैâलेण्डर में एक माह 29. 5 दिन का होता है और सोलर पद्धति में 30 या 31 दिन का होता है।
इस हिसाब से लुनार वैâलेण्डर में एक साल में 354 दिन पड़ते हैं और सोलर कलेण्डर में 365 दिन पड़ते हैं। दोनों के बीच एक साल में 11 दिनों का अंतर आता है और इस तरह तीन साल में एक माह का अंतर आ जाता है। इसलिए तीन साल में एक बार कोई न कोई माह दो बार पड़ता है, जिसे हिन्दू ग्रंथों में विशेष महत्व दिया गया है।