मकड़े भी बजाते हैं संगीत, सुनना चाहेंगे?
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कोलकाता टाइम्स :
जापान के एक शोधकर्ता ने मकड़ी के बुने हुए जाल के हजारों रेशमी धागों का इस्तेमाल कर वायलिन के तार बनाए हैं। बताया जा रहा है कि स्टील से बने तारों के मुकाबले इन तारों से निकलने वाली आवाज हल्की और गहरी सुनाई देती है। इसकी वजह तार बनाने की विधि हो सकती है क्योंकि तार में मकड़ी के रेशमी धागों को जिस तरह से मोड़ा जाता है, उससे उनके बीज में कोई जगह नहीं बचती है। सूत्रों के मुताबिक, जापान के नारा मेडिकल विश्वविद्यालय के डॉक्टर शिगेयोशी ओसाकी ने वायलिन का एक-एक तार मकड़ी के बुने हुए हजारों रेशमी धागों से बनाया है। डॉ. ओसाकी ने कहा, मकड़ी के रेशम से वायलिन के तार बनाना एकदम नई खोज है। यह वायलिन बजाने वालों और संगीत प्रेमियों को नए सुर सुनने का मौका देगी। उनके इस शोध को फिजिकल रिव्यू लेटर्स पत्रिका के अगले संस्करण में प्रकाशित किया जाएगा। डॉ.ओसाकी कई वर्षो से मकड़ी के रेशम पर शोध कर रहे हैं। उन्होंने पाली हुई मकडि़यों का प्रजनन करवा कर, उनसे खास ड्रैगलाइन रेशम निकालने का तरीका विकसित किया। करीब तीन सौ नेफ्युला माकुलाता मकडि़यों से ये रेशमी धागे निकाले गए। ऐसे तीन से पांच हजार धागों को एक दिशा में मोड़कर एक गट्ठा बनाया गया और फिर तीन गट्ठों को दूसरी दिशा में एक साथ मोड़कर एक तार बनाया गया। डॉ. ओसाका ने पाया कि मकड़ी के रेशम से बने ये तार एल्यूमिनियम की परत से ढंके नायलॉन के तारों से ज्यादा मजबूत हैं। अब डॉ.ओसाकी मकड़ी के रेशम के इस्तेमाल के नए तरीकों पर काम कर रहे हैं।