November 23, 2024     Select Language
Editor Choice Hindi KT Popular स्वास्थ्य

शर्त लगा लीजिये,  आलू की यह खास बातों से आप हैं अनजान 

[kodex_post_like_buttons]

कोलकाता टाइम्स : 

भारत में आलू को 16वीं शताब्दी के आसपास पुर्तगालियों द्वारा लाया गया। जबकि इसका मूल स्थान दक्षिण अमेरिका है।

आलू पौष्टिक तत्वों से भरपूर होता है। इसका मुख्य पौष्टिक तत्व स्टार्च होता है। इसमें कुछ मात्रा उच्च जैविक मान वाले प्रोटीन की भी होती है। आलू क्षारीय होता है, इसलिए यह शरीर में क्षारों की मात्रा बढ़ाने या उसे बरकरार रखने में बहुत सहायक होता है। यह शरीर में ऐसीडोसिस भी नहीं होने देता।
1 आलू में सोडा, पोटाश और विटामिन ‘ए’ तथा ‘डी’ भी पर्याप्त मात्रा में पाए जाते हैं। आलू का सबसे अधिक महत्वपूर्ण पौष्टिक तत्व विटामिन सी है। योरप में जब से आलू का प्रयोग व्यापक होता गया है, तब से स्कर्वी नामक रोग की घटनाएं बहुत कम देखने में आती हैं।
2. आलू के पौष्टिक तत्वों का लाभ लेने के लिए इसे हमेशा छिलके समेत पकाना चाहिए क्योंकि आलू का सबसे अधिक पौष्टिक भाग छिलके के एकदम नीचे होता है, जो प्रोटीन और खनिज से भरपूर होता है। आलू को उबाला, भूना या अन्य सब्जियों के साथ पकाया जाता है, इसलिए इसके पौष्टिक तत्व आसानी से हजम हो जाते हैं।
3. आलू का यदि कोई भाग हरा रह गया है तो उसे काटकर निकाल देना चाहिए, क्योंकि उसमें सोलेनाइन नामक विषैला पदार्थ होता है। इसके अतिरिक्त यदि आलू में अंकुर आ गए हों, तो अंकुरित भाग काटकर निकाल देना चाहिए और उसे प्रयोग में नहीं लाना चाहिए।
4. आलू में औषधीय गुण जबर्दस्त हैं। यह आंतों में सड़न की प्रक्रिया को रोकता है, और पाचन प्रक्रिया में सहायक बैक्टीरिया के विकास में सहायता करता है।
5. आलू यूरिक अम्ल को घोलकर निकालता है। पुरानी कब्ज, आंतों में विषाक्तता, यूरिक अम्ल से संबंधित रोग,गुर्दों में पथरी, ड्रॉप्सी आदि रोगों के इलाज में आलू पर आधारित चिकित्सा को बहुउपयोगी माना गया है। स्कर्वी रोग में आलू को आदर्श आहार औषधि माना गया है।
6. प्रत्येक बार भोजन करने से पहले चाय का एक या दो चम्मच भर कच्चे आलुओं का रस पीने से सभी तरह के अम्ल शरीर से निकल जाते हैं और गठिया रोग में आराम मिलता है। आलू के छिलके में महत्वपूर्ण खनिज लवण भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं।
7.  जिस पानी में आलुओं को छिलके समेत उबाला जाता है वह पानी शरीर में तेजाब की अधिकता के कारण होने वाले रोगों की आदर्श दवा बन जाता है। इसका काढ़ा तैयार कर, छानकर एक-एक गिलास दिन में 3-4 बार प्रतिदिन लेना चाहिए।
8. पाचन संबंधी बीमारियों में कच्चे आलू का रस बहुत उपयोगी होता है, क्योंकि यह आंतों में सूजन से आराम दिलाता है। इस रोग में आराम पाने के लिए कच्चे आलू का आधा प्याला रस भोजन से आधा घंटा पहले दिन में दो या तीन बार लेना चाहिए।
9. यह आंतों की सूजन और ड्योडेनल अल्सर से भी आराम दिलाता है। पेट और आंतों के रोगों तथा विषाक्तता के मामलों में आलू के स्टार्च का इस्तेमाल एंटीइंफ्लेमेट्री (सूजन दूर करने वाले) पदार्थ के रूप में किया जाता है।
10. कच्चे आलू का रस त्वचा पर दाग-धब्बे दूर करनेमें उपयोगी सिद्ध हुआ है। आलू में मौजूद पोटेशियम सल्फर, फास्फोरस और कैल्शियम की मात्रा त्वचा की सफाई में मदद करती है।
11. आलू के गुण तभी तक अधिक प्रभावकारी रहते हैं, जब तक यह कच्चा रहता है, क्योंकि उसमें जीवित कार्बनिक परमाणु होते हैं। पकाई हुई अवस्था में ये जैविक परमाणु अकार्बनिक परमाणु में बदल जाते हैं और उनका रचनात्मक लाभ कम हो जाता है।
12 यह आश्चर्य की बात है कि आलू की रसदार लुग्दी या पेस्ट झुर्रियां, बढ़ती उम्र के दाग-धब्बे और त्वचा की रंगत निखारने में सहायता करती है।

Related Posts