पढ़ना नहीं सुनना है तो बस छू दीजिये कुरान को
अपनी तरह का यह पहली कुरान उत्तर प्रदेश की बरेली में भी पहुंच गई है। दुबई हुकूमत की तरफ से इस कुरान को अपने खर्च पर तैयार कराकर लोगों तक मुफ्त पहुंचाया जा रहा है। बरेली में उसकी पहली प्रति जमीतुल कुरैश के जिलाध्यक्ष हाजी शकील कुरैशी के पास उनके दोस्त ने भेजी है। लोग इस नई खोज से हैरान हैं। आवाज वाली इस कुरान में 30 पारों की तिलावत है। उसका उर्दू, अंग्रेजी, फ्रेंच और मलयालम में अनुवाद है। जिस भाषा में अनुवाद सुनना हो वहां लेजर वाला पेन रखते ही आवाज निकलने लगती है। साथ में सही बुखारी भी है, जिसमें रसूले पाक की हदीस हैं जो सहाबी से रिवायत हैं। उन्हें भी चारों भाषाओं में पसंद के हिसाब से सुना जा सकता है।
अगर किसी को अरबी नहीं आती है तो पढ़ने का कायदा यानि वर्णमाला भी है। इससे लोगों को बगैर उस्ताद के अरबी भाषा और कुरान का ज्ञान मुमकिन हो जाएगा। शारजाह की मस्जिद के इमाम मौलाना जमील अहमद फैजी ने फोन पर बताया कि कुरान को खास कागज कलर कोटेड पेपर पर लेजर इनपेज में लिखा गया है।
लेजर इनपेज और लेजर पेन के आपस में संपर्क होते ही आवाज आने लगती है। लेजर पेन में मेमोरी कार्ड है। उसे जहां रखेंगे, वह कुरान की उस लाइन को पढ़ना शुरू कर देगा।