आतंक नहीं, नादिया बानी कश्मीर की पहचान
कोलकाता टाइम्स :
धरती की स्वर्ग कश्मीर अब सिर्फ आतंक, गोली, हत्या के लिए ही उभरकर आता है। जहाँ बच्चों के हाथ से किताबे चीन बन्दुक और पत्थर थमा दिए जा रहे हैं वही ऐसा फूल खिला है जो बताता है कि हालातों से लड़ने के लिए बहाने नहीं हौसले चाहिए होते हैं। जिसने ठान ली हो उसे बस एक मौके की जरूरत होती है मौका मिलते ही वह शख्स शख्सियत में बदल जाता है। ऐसी ही कुछ कहानी है जम्मू कश्मीर की पहली महिला फुटबॉलर नादिया निगहत की।
नादिया के लिए फुटबॉल कोच बनने के लिए रास्ता आसान नहीं था। कर्फ्यू लगने से लेकर लोगों की मानसिकता बदलने की चुनौती सामने थी। नादिया ने इन हालातों को को किक मारकर रास्ते से हटा दिया और सफलता के दहलीज पर आकर खड़ी हुईं। नादिया को ऐसे मौंके पर उनके पिता ने काफी सोपोर्ट किया ।
नादिया खुद बताती हैं कि मैंने स्थानीय कॉलेज जॉइन किया तो 40-50 लड़कों में मैं अकेली लड़की थी। मेरे परिवार और मुझे फुटबॉल यूनिफॉर्म में लड़कों के साथ खेलने को लेकर काफी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा।
नादिया बताती है कि जब भी इलाके में कर्फ्यू होता तो वह किसी भी तरह ट्रेनिंग तक पहुंचे। नहीं पहुंचपाने पर वहघर पर खेलती थी।