July 2, 2024     Select Language
Editor Choice Hindi KT Popular दैनिक

चौंका देगा हर साल मौत की सजा पाने वालों की संख्या 

[kodex_post_like_buttons]

कोलकाता टाइम्स : भारत में भले ही मौत की सजा पर बहस चल रही हो, लेकिन भारतीय अदालतों ने 1998 से 2017 तक कुल 2,703 लोगों को मौत की सजा सुनाई है। एक रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है।मौत की सजा सुनाने वालों में सबसे आगे उत्तर प्रदेश रहा, जिसने एक-चौथाई मौत की सजा सुनाई। इनके पीछे बिहार (१७८) और मध्य प्रदेश (180 ) रहे। 2017 में मध्य प्रदेश 30 मौत की सजा के फैसला के साथ टॉप पर रहा। महाराष्ट्र इस साल चौथे स्थान पर रहा और उससे पहले तमिलनाडु रहा था। रिपोर्ट में दिलचस्प तथ्य यह भी सामने आया है कि 1998 से 2016 के बीच कर्नाटक में एक भी मौत की सजा नहीं सुनाई गई।

रिपोर्ट जारी होने के बाद कॉमनवेल्थ ह्युमन राइट्स इनिशिटिव ने कहा कि इस का मतलब यह है कि इस दौरान हर साल औसतन 186 लोगों को मौत की सजा दी गई। रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय अदालतों ने साल 2007 में सबसे ज्यादा मौत की सजा दी, जिसकी संख्या 186 थी। 2000 में 165 लोगों को मृत्युदंड मिली, वहीं 2005  में अदालतों ने 164 को मौत की सजा सुनाई। सबसे कम मौत की सजा 1998 में सुनाई जिनकी संख्या 55 थी।
लॉ कमीशन के परामर्श पत्र के अनुसार, 2000 से 2013 के बीच अपराध में कोई उछाल नहीं आया जबकि इस दौरान मौत की सजा प्राप्त किसी भी शख्स को फांसी पर नहीं लटकाया गया था। नेशनल क्राइम रिकॉड्र्स ब्यूरो के आंकड़ों पर आधारित रिपोर्ट में बताया गया है कि आम्र्ड फोर्सेज स्पेशल पावर्स एक्ट (अफस्पा) के जम्मू-कश्मीर और मणिपुर में अमल में आने के बाद मृत्युदंड की संख्या कम रही है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि 1998 से 2017 तक भारतीय अदालतों ने 4,499 दोषियों की मौत की सजा को उम्रकैद में बदल दिया।

Related Posts