चौंका देगा धुनि से जुड़ी यह पहेलियाँ
कोलकाता टाइम्स :
प्रयागराज महाकुंभ 15 जनवरी से शुरू हो गया। पूरे कुंभ मेला क्षेत्र में धुनि के धुआं उठ रहा है। साधुओं के कैंपों में जल रही ये धुनियां बरबस ही सबका ध्यान अपनी ओर खींच लेती हैं। लोगों के मन में धुनि को लेकर कई जिज्ञासाएं हैं। आखिर साधु धुनि क्यों जलाते हैं। हमेशा जलती रहने वाली धुनि कोई सामान्य अग्नि कुंड नहीं होती बल्कि इस धुनि में नागा और साधुओं का पूरा तप बल समाया होता है। ये धुनि साधुओं की जीवन शैली का अभिन्न अंग हैं। इससे जुड़े कई तथ्य हैं जो आम लोग नहीं जानते।
इन धुनियों के बारे में वो बातें जानते हैं जो शायद आज तक आपने नहीं सुनी, पढ़ी होंगी।
1 . किसी भी साधु द्वारा जलाई गई धुनि कोई साधारण आग नहीं होती। इसे सिद्ध मंत्रों से शुभ मुहूर्त में जलाया जाता है।
2 . कोई भी साधु इसे अकेले नहीं जला सकता। इसके लिए उसके गुरु का होना जरूरी होता है। गुरु की ही अनुमति से धुनि जलाई जाती है।
3 . धुनि हमेशा जलती रहे यह जिम्मेदारी उसी साधु की होती है। इस कारण उसे हमेशा धुनि के आसपास ही रहना पड़ता है।
4 . अगर किसी कारण से साधु कहीं जाता है तो उस समय धुनि के पास उसका कोई सेवक या शिष्य रहता है।
5 . साधुओं के पास जो चिमटा होता है, वह वास्तव में धुनि की सेवा के लिए होता है। उस चिमटे का कोई और उपयोग नहीं किया जाता। इसी चिमटे से धुनि की आग को व्यवस्थित किया जाता है।
6 . नागाओं में ऐसी मान्यता है कि अगर कोई साधु धुनि के पास बैठकर कोई बात कहता है, कोई आशीर्वाद देता है तो वह जरूर पूरा होता है। नागा साधु का लगभग पूरा जीवन अपनी इसी धुनि के आसपास गुजरता है।
7 . जब वे यात्रा में होते हैं तभी धुनि उनके साथ नहीं होती, लेकिन जैसे ही कहीं डेरा जमाते हैं, वहां सबसे पहले धुनि जलाई जाती है।