November 23, 2024     Select Language
Editor Choice Hindi KT Popular धर्म

किसी भी काम में चाहिये विजय तो आज करे इनकी पूजा

[kodex_post_like_buttons]

कोलकाता टाइम्स :

पुराणों और शास्त्रों में बृहस्पति देव का अनेक जगह उल्लेख मिलता है। ये एक तपस्वी ऋषि थे। इन्हें तीक्ष्णशृंग भी कहा गया है। धनुष बाण और सोने का परशु इनके हथियार माने जाते हैं और इनका रथ ताम्र रंग के घोड़ों द्वारा जाता जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार बृहस्पति को अत्यंत पराक्रमी भी बताया जाता है। कहते हैं कि इन्द्र को पराजित कर इन्होंने उनसे गायों को छुड़ाया था। इसीलिए युद्ध में अजय मान कर विजय के अभिलाषी योद्धा इनकी पूजा करते हैं। गुरू बृहस्पति को अत्यंत परोपकारी भी कहते हैं और ये शुद्ध आचारण वाले व्यक्तियों की हमेशा संकट में सहायता करते हैं। बृहस्पति के बिना यज्ञ सफल नहीं माने जाते क्योंकि इन्हें गृहपुरोहित माना गया है।

बृहस्पति से जुड़ी कथाएं
वेदों से संबंधित साहित्य में बृहस्पति से जुड़ी कई कथाएं हैं। इनको देवताओं का पुरोहित भी माना गया है। एक कथा के अनुसार ये अंगिरा ऋषि की सुरूपा नाम की पत्नी से पैदा हुए थे। इनकी पत्नियों के नाम तारा और शुभा हैं। कहते हैं एक बार सोम यानि चंद्रमा इनकी पत्नी तारा से प्रेम करने लगा और उसको उठा ले गया। इस पर बृहस्पति और चंद्रमा में युद्ध होने लगा। जब ये युद्घ भयंकर होने लगा तो अंत में ब्रह्मा जी ने इसमें हस्तक्षेप किया और चंद्रमा से बृहस्पति की पत्नी को लौटाने के लिए कहा। चंद्रमा से तारा को बुध नाम के पुत्र की प्राप्ति हुई जो एक ग्रह है। बुद्ध ही चंद्रवंशी राजाओं के पूर्वज कहलाते हैं। वहीं महाभारत के अनुसार बृहस्पति के संवर्त और उतथ्य नाम के दो भाई भी थे। इनमें से संवर्त के साथ बृहस्पति का हमेशा झगड़ा रहता था।   

Related Posts