खो रही है कॉफी के 60 % प्रजातियां, शायद ही लगा पाएं चुस्की
कोलकाता टाइम्स :
जलवायु परिवर्तन का सीधा असर समुद्री जीवों के अलावा कॉफी पर भी पड़ रहा है। जंगली कॉफी की 124 में से 75 प्रजातियां विलुप्ति के कगार पर हैं, इसका मुख्य कारण जलवायु परिवर्तन और जंगलों का कटना है जो कॉफी की कुल प्रजातियों का 60% है। यह रिसर्च दुनिया के सबसे बड़े जैव विविधता वाले इंग्लैंड के बॉटेनिकल पार्क क्यू गार्डन में की गई।
सबसे खास बात है कि विलुप्त होने वाली प्रजाति में काॅफी की एक किस्म ऐसी भी है जिसे 60 साल बाद दोबारा खोजा गया था। रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक, वाइल्ड कॉफी की कुछ चुनिंदा ऐसी प्रजाति भी हैं जिनकी जलवायु परिवर्तन के बाद भी पैदावार जारी रहेगी। ये प्रजाति कॉफी के पौधों में होने वाली बीमारी से भी लड़ने में समर्थ है।
जंगली प्रजाति का इस्तेमाल कॉफी के क्रॉस ब्रीड पौधों के निर्माण में भी किया जाता है। ऐसे पौधों से तैयार होने वाली कॉफी स्ट्रॉन्ग होती है। क्यू गार्डन के हेड डॉ. डेविस के मुताबिक, 60% प्रजातियों के खत्म हाेने का आंकड़ा कॉफी पीने वालों को चौकाने वाला है। जंगली प्रजाति का खत्म होना चिंता का विषय है, चाहे काॅफी हो या चिड़िया।
ऐसा पहली बार है जब इसकी 124 प्रजातियों पर इतनी बड़ी रिसर्च की गई है। इनकी ज्यादातर पैदावार अफ्रीका, एशिया, ऑस्ट्रेलिया, मेडागास्कर और भारतीय समुद्री आईलैंड में होती है। साइंस एडवांसेस पत्रिका में प्रकाशित इस रिसर्च के मुताबिक, विलुप्त प्रजातियों को इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर ने रेड लिस्ट में शामिल किया है।
वैज्ञानिकों का कहना है कि इनकी आधी से भी कम प्रजातियों को बीज बैंक में रखा गया है। एक चौथाई से अधिक प्रजातियों कहां पर मौजूद हैं इसकी जानकारी भी नहीं हैं।