July 4, 2024     Select Language
Editor Choice Hindi KT Popular धर्म सफर

नीयत ठीक होने पर शराब की प्रसाद ग्रहण करती हैं यह देवी 

[kodex_post_like_buttons]

कोलकाता टाइम्स :

राजस्थान के नागौर जिले में मां काली का एक ऐसा मंदिर है जहां प्रसाद के रूप में शराब चढ़ाई जाती है। खास बात ये है कि देवी को ढाई प्याला शराब ही चढ़ाई जाती है। यदि इस प्याले में एक बूंद कम प्रसाद हो तो वे ग्रहण नहीं करती हैं। हम आपको बताते हैं कि इस परंपरा की शुरूआत कैसे हुई…..

कैसे स्वीकार करती हैं मदिरा: देवी मां के मुंह से शराब से भरा चांदी का प्याला लगाते ही शराब गायब हो जाती है।कहते हैं यदि मन्नत के हिसाब से प्रसाद हो तो मां काली सहज ही स्वीकार कर लेती हैं, लेकिन यदि प्रसाद की मात्रा वादे से कम या ज्यादा हो तो वे उसे अस्वीकार कर देती हैं। शराब से भरा चंदी का प्याला देवी के सामने करके पुजारी आंखें बंद कर उनसे प्रसाद ग्रहण करने का आग्रह करता है। कुछ ही क्षणों में प्याले से शराब गायब हो जाती है। ऐसा तीन बार किया जाता है। तीसरी बार प्याला आधा भरा रह जाता है। कहते हैं माता ढाई प्याला शराब ही ग्रहण करती हैं।

लूट के माल से हुआ मंदिर का निर्माण : कहा जाता है कि करीब 100 साल पहले डाकुओं का एक झुंड लूट का माल लेकर आया। वे एक चबूतरे पर लूट का माल बांटने लगे। इसी बीच चबूतरे पर बनीं मूर्तियों का चमत्कार डाकुओं को दिखा। वे दंग रह गए और उन्होंने लूट के माल से मंदिर का निर्माण करवाया।

मंदिर के नाम पर पड़ा गांव का नाम : जिला मुख्यालय नागौर से करीब 105 किमी की दूरी पर रियां तहसील में भवाल गांव हैं। इस गांव का नाम यहां 13वीं सदी में बने इस काली मां के मंदिर के नाम पर पड़ा है।

यहां एक प्राचीन शिलालेख है जो 12वीं शताब्दी का बताया जाता है। यह मंदिर लाल पत्थरों से निर्मित है। विशाल पोल में प्रवेश करते ही छोटे से चौक को पार करना पड़ता है। मंदिर की दीवारों पर प्राचीन काल की मूर्तियां उत्कीर्ण हैं। इसमें यक्ष, गंधर्व, किन्नर और देवी-देवताओं की मूर्तियां उत्कीर्ण हैं। इस मंदिर की गिनती राजस्थान के प्रसिद्ध शक्तिपीठों में होती है।

Related Posts