बच्चों को ज्यादा न खिलाएं नमक वाली चीजें, होते हैं यह नुकसान
अगर आप भी अपने बच्चों के साथ कुछ ऐसी ही गलती दोहरा रहे हैं तो ये आपके बच्चे और पूरे परिवार के लिए हानिकारक हो सकते हैं। बच्चों को अत्यधिक नमक या नमक वाली चीजे देना उनके लिए खतरे से कम नहीं है। यह उनकी सेहत तो बिगाड़ता ही है साथ ही उनमें कई जानलेवा बीमारियों का कारण भी बन सकता है।
ट्रेडिंग स्टैर्न्डड के सर्वे के अनुसार, एक साल के अंदर के बच्चे को रोजाना 1 ग्राम से ज्यादा नमक नहीं खाना चाहिये। इसी तरह से 1-3 साल के बच्चे के लिये 2 ग्राम प्रति दिन और उससे ज्याद की उम्र तक के लिये 3 ग्राम नमक खाना सही होता है। 7-10 साल तक के बच्चे के लिये 5 ग्राम नमक पर्याप्त होता है, उन्हें उससे ज्यादा नमक नहीं खाना चाहिये।
बच्चों के लिए क्या है सबसे ज्यादा जरूरी : ब्रेस्ट मिल्क में ही इतना सोडियम होता है कि वह बच्चे के शरीर में नमक की पूर्ति आराम से कर देगा। आजकल बाजार में जितने भी पैकेट बंद आहार मिलते हैं, उनमें भारी मात्रा में सोडियम पाया जाता है। इसलिये अपने बच्चे की डाइट में केवल हरी साग-सब्जियां, फल और मेवों के अलावा और कुछ ना शामिल करें।
क्यों हानिकारक है नमक वाले खाद्य पदार्थ
किडनी खराब होने का खतरा : बच्चों के लिये ज्यादा नमक का सेवन करना हानिकारक हो सकता है। क्य़ोंकि अगर आपने बच्चे को अधिक नमक खिला दिया तो इसके शरीर में सोडियम की मात्रा अधिक हो जाएगी। कभी कभार किडनियां हमारे शरीर में सोडियम की मात्रा को बैलेंस नहीं कर पाती, जिससे क्रोनिक किडनी की बीमारी हो जाती है। इसके अलावा ज्यादा नमक खाने से किडनी में पथरी की सम्भावना काफी बढ़ जाती है।
मोटापा बढ़ाता है : जिन उत्पादकों को हम खरीदते हैं उन्ही में हम सबसे ज्यादा नमक खा रहे होते हैं। इसके लिए किसी भी खाद्य पदार्थ को खरीदने से पहले उसमें मौजूद सामग्री की मात्रा को देख लेना चाहिए। बच्चे स्नैक्स, चिप्स आदि बाहर खाते हैं जिनमे अधिक मात्रा में नमक पाया जाता है यही नमक इन फूड्स को मोटापे का कारण बनाता है।
दिमाग पर बुरा असर : कुछ शोधों में यह बात भी सामने आई कि छोटे बच्चों के खाने में नमक मिलाने से उनके दिमाग पर भी बुरा असर पड़ता है। इसलिए आप अपने बच्चों को खाना खिलाते समय इस बात को ज़रूर याद रखें कि उन्हें नमक नहीं खिलाना है। हमेशा खासतौर पर छोटे बच्चों के खाने के लिए बनाई गयी चीजें ही खरीदें। इनमे नमक की मात्रा बहुत ही कम होती है जिससे ये उन्हें किसी भी तरह का नुकसान नहीं पहुंचाते हैं।