डर के साये में पूरा चीन, सरकार ही रच रही नागरिकों के खिलाफ साजिश
कोलकाता टाइम्स :
अपने ही देश में डर के साये में जी रहे हैं चीनी नागरिक। वजह है चीन अब अपने ही नागरिकों के खिलाफ साजिश रच रहा है। ये साजिश है अपने नागरिकों पर हर वक्त नजर रखने और उनकी पल-पल की गतिविधि को रिकॉर्ड करने की। मुफ्त स्वास्थ्य जांच के नाम पर चीन सरकार इस काम को अंजाम दे रही है। वहीं लोग चीन की इस साजिश को समझने लगे हैं और सरकार के खिलाफ उनका आक्रोश भी पनपने लगा है।
बताया जा रहा है कि चीन मुफ्त स्वास्थ्य जांच के बहाने चोरी-छिपे लोगों के डीएनए सैंपल एकत्र कर रही है। बीजिंग में रह रहे 38 वर्षीय मुस्लिम युवक ताहिर इमिन के अनुसार सरकार के मुफ्त जांच शिविर में उनके खून का नमूना लिया गया। उनके चेहरे और फिंगर प्रिंट को स्कैन किया गया और उनकी आवाज के नमूने भी रिकॉर्ड किए गए। हालांकि, उनके दिल या किडनी की जांच नहीं की गई और जब उन्होंने अपनी जांच रिपोर्ट जानने का अनुरोध किया तो उन्हें मना कर दिया गया। उन्हें बताया गया कि उनके पास रिपोर्ट के बारे में पूछने का अधिकार नहीं है। इसके बाद भी अगर आपने अपनी टेस्ट रिपोर्ट देखने का दबाव बनाया तो कहा जाता है कि आप पुलिस में जा सकते हैं।
इमिन अकेले ऐसे युवक नहीं हैं, बल्कि चीन के उन लाखों लोगों में से एक शख्स हैं, मुफ्त जांच के नाम पर जिनके जबरन डीएनए सैंपल लिए गए हैं। इन लोगों को जबरन पकड़-पकड़ कर स्वास्थ्य जांच के बहाने लाया जा रहा है। बताया जा रहा है कि इसका मकसद लोगों की निगरानी करना है। चीन को अपने इस अभियान में संयुक्त राज्य अमेरिका (USA) की बड़ी कॉर्पोरेट कंपनियों और विशेषज्ञों का सहयोग मिल रहा है।
बताया जा रहा है कि चीन मुख्य रूप से मुस्लिम आबादी पर नजर रखने के लिए उनके डीएनए सैंपल ले रहा है। इसके लिए दस लाख लोगों को हिरासत में लिया गया है। चीन अपने इस मिशन को री-एजुकेशन शिविर कह रहा है। चीन के इस कदम का देश के अंदर नागरिकों द्वारा और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर मानवाधिकारी संगठनों द्वारा विरोध शुरू हो चुका है। इसके बाद चीन के इस कदम की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निंदा होने और अमेरिका द्वारा प्रतिबंध लगाए जाने का खतरा बढ़ा गया है। मानवाधिकार संगठनों के अनुसार चीन के इस अभियान का मुख्य मकसद डीएनए सैंपल एकत्र करना ही है।