साढ़े साती सिर्फ शनि के कोप नहीं पुरष्कार भी देता है
ऐसा नहीं है कि साढ़े साती सिर्फ कष्ट या दुख ही लाती है बल्कि जिन लोगों ने अच्छे कर्म किये होते हैं तो उनको साढेसाती पुरस्कार भी प्रदान करती है, जैसे नगर, ग्राम या राज्य का मुखिया बना दिया जाना। शनि की साढेसाती के आख्यान अनेक लोगों के प्राप्त होते हैं। ये संत महात्माओं को भी प्रताडित करती है, जो जोग के साथ भोग को भी अपनाने लगते हैं। शनि की साढेसाती के कई उदाहरण हैं जैसे राजा विक्रमादित्य, राजा नल, राजा हरिश्चन्द्र। हर मनुष्य पर तीस साल में एक बार साढे़साती अवश्य आती है। यदि यह धनु, मीन, मकर, कुम्भ राशि मे होती है, तो कम पीड़ाजनक होती है, परंतु यदि यह साढे साती चौथे, छठे, आठवें, और बारहवें भाव में होगी, तो अवश्य दुखी करेगी, और तीनो सुख शारीरिक, मानसिक, और आर्थिक का हरण करेगी।
साढ़े साती में कभी भूलकर भी “नीलम” रत्न नहीं धारण करना चाहिये, वरना वजाय लाभ के हानि होने की पूरी सम्भावना होती है। कोई नया काम, नया उद्योग, भूल कर भी साढेसाती में नही करना चाहिये, किसी भी काम को करने से पहले किसी जानकार ज्योतिषी से जानकारी अवश्य कर लेनी चाहिये। यहां तक कि वाहन को भी भूलकर इस समय में नही खरीदना चाहिये, अन्यथा वह वाहन सुख का वाहन न होकर दुखों का वाहन हो जायेगा।