काम के शुरुआत में ही समझ सकते हैं सफलता मिलेगी या नहीं, कैसे ?
कोलकाता टाइम्स :
कामयाबी के लिए आचार्य चाणक्य ने चाणक्य नीति ग्रंथ के षष्ठम अध्याय के 16वें श्लोक में शेर के माध्यम से एक मूलमंत्र बताया है। इस मंत्र का ध्यान रखने से हर काम में सफलता मिल सकती है..
नीति श्लोक
प्रभूतंकार्यमल्पंवातन्नरः कर्तुमिच्छति।
सर्वारंभेणतत्कार्यं सिंहादेकंप्रचक्षते॥
भावार्थ
– इस श्लोक में आचार्य ने बताया है कि अगर हमें कोई लक्ष्य हासिल करना है तो पूरी शक्ति लगाकर काम की शुरुआत करना चाहिए। ठीक उसी प्रकार जैसे कोई शेर अपना शिकार करता है।
– काम चाहे छोटा हो या बड़ा हो, हमें पूरी ताकत लगाकर ही करना चाहिए। तभी हमारी कामयाबी पक्की हो जाती है। शेर अपने शिकार पर पूरी शक्ति से झपटता है और शिकार को भागने का मौका नहीं देता।
– इसी गुण के कारण वह शिकार पकड़ने में बहुत कम असफल होता है। हमें भी शेर की तरह ही अपने लक्ष्य की ओर झपटना चाहिए, आगे बढ़ना चाहिए।
– काम में किसी प्रकार का ढीलापन हुआ तो कामयाबी हमसे दूर हो जाएगी। यही सफलता प्राप्त करने का मूलमंत्र है।
आचार्य चाणक्य का संक्षिप्त परिचय
– पुराने समय में भारत छोटे-छोटे राज्यों में बंटा हुआ था और विदेशी शासक सिकंदर भारत पर आक्रमण करने के लिए भारतीय सीमा तक आ पहुंचा था।
– तब आचार्य चाणक्य ने अपनी नीतियों से भारत की रक्षा की थी। चाणक्य ने अपने प्रयासों और अपनी कूट नीतियों से एक सामान्य बालक चंद्रगुप्त को अखंड भारत का सम्राट बनाया।